Varanasi : 24 देशों का 40 विदेशी शिक्षकों का अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधिमंडल बुधवार को देश की सांस्कृतिक राजधानी कहे जानेवाली काशी में शैक्षिक भ्रमण के लिए पहुंचा.
खबरों के अनुसार बीएचयू के श्रमण विद्या संकाय एवं ऑनलाइन संस्कृत प्रशिक्षण केंद्र में श्रमण विद्या संकायाध्यक्ष तथा ऑनलाइन संस्कृत प्रशिक्षण केंद्र के निदेशक प्रोफेसर रमेश प्रसाद ने वैदिक मंत्रोच्चार तथा भस्म-तिलक लगा कर उनका स्वागत किया.
प्रतिनिधिमंडल में कंबोडिया, श्रीलंका, म्यांमार, जांबिया, मोरक्को, कजाखस्तान, केन्या, उज्बेकिस्तान, रूस, घाना, स्वीडन, जिम्बाब्वे आदि 24 देशों के 40 विदेशी शिक्षक शामिल हैं. बीएचयू के बाद यह दल संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में शैक्षिक भ्रमण के लिए पहुंचा.
प्रो रमेश प्रसाद ने उन्हें भारतीय ज्ञान परंपरा की अमूल्य धरोहर के बारे में जानकारी दी. बताया कि यह विश्वविद्यालय भारत की प्राचीनतम शैक्षिक संस्था 1791 में स्थापित की गयी थी, जो आज भी अपनी विरासत और पारंपरिक ज्ञान परंपरा को अक्षुण्ण बनाए हुए है.
उन्होंने बताया कि यहां देश की स एक लाख से अधिक पांडुलिपियां सुरक्षित एवं सुसज्जित हैं. खगोलीय अध्ययन के लिए वेधशाला तथा सम्राट अशोक का स्तंभ भी विश्वविद्यालय परिसर में मौजूद हैं.
संस्कृत साहित्य सहित श्रमण परंपरा में निहित ज्ञान का विभिन्न 22 विभागों में अध्ययन-अध्यापन एवं शोध कार्य होता है. यहां संस्कृत की विभिन्न शाखाओं के साथ-साथ पालि, प्राकृत, बौद्ध एवं जैन साहित्य की शाखाएं मौजूद हैं.
जानकारी के अनुसार वाराणसी भ्रमण पर आया प्रतिनिधिमंडल विदेश मंत्रालय के आईटीसी कार्यक्रम के तहत आया है. इनका उद्देश्य भारत की विरासत और पारंपरिक ज्ञान प्रणालियों का अध्ययन करना है.
यहां डॉ. लेखमणि त्रिपाठी ने प्रतिनिधियों को विश्वविद्यालय के समृद्ध पुस्तकालय, वेधशाला, मुख्य भवन आदि का भ्रमण कराया.
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