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ईरान-इजरायल तनाव : मिसाइलों की जंग, कूटनीति की कोशिशें, अमेरिका, रूस व चीन भी तनाव में

Lagatar Desk :  मिडिल ईस्ट एक बार फिर युद्ध के कगार पर है. ईरान और इजरायल के बीच लगातार 11वें दिन संघर्ष जारी है और दोनों देशों के बीच सैन्य कार्रवाई का स्तर लगातार तेज होता जा रहा है. जहां इजरायल ने ईरान के अंदर गहरे हमले किए हैं, वहीं ईरान ने भी मिसाइल और ड्रोन हमलों से जवाबी हमला किया है. इस क्षेत्रीय संकट ने अब वैश्विक शक्तियों को भी चिंता में डाल दिया है. अमेरिका, रूस, चीन, जर्मनी और उत्तर कोरिया जैसी प्रमुख ताकतें इस संघर्ष पर खुलकर प्रतिक्रिया दे रही हैं.

 

संघर्ष का आरंभ :  इजरायली हमले और ईरान का पलटवार

13 जून को इजरायल ने ईरान के विभिन्न ठिकानों पर अचानक हमले शुरू किए, जिनका तर्क प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने यह दिया कि ईरान शीघ्र ही न्यूक्लियर बम बना सकता है. इजरायली कार्रवाई के जवाब में ईरान ने मिसाइल और ड्रोन हमलों के जरिए जवाबी कार्रवाई की, जिससे हजारों इमारतें और सरकारी संस्थान बर्बाद हो गए. इन हमलों में अब तक ईरान में 950 लोगों की मौत हो चुकी है और 3,450 से अधिक लोग घायल बताए जा रहे हैं. 

 

आईडीएफ ने ईरान के बैलिस्टिक मिसाइल को किया नष्ट

संघर्ष के 11वें दिन ईरान ने सेंट्रल इजरायल में मिसाइलें दांगी है. हालांकि इजरायली डिफेंस सिस्टम (IDF) ने ईरान द्वारा दागी गई एक बैलिस्टिक मिसाइल को बीच में ही नष्ट कर दिया. जिसके बाद तेल अवीव और आसपास के इलाकों में सायरन बज उठे, लेकिन इस हमले में किसी के घायल होने की खबर नहीं है.  वहीं इजरायली वायुसेना ने भी 20 लड़ाकू विमानों के जरिए केरमानशाह, हमादान और तेहरान में मिसाइल गोदाम, रडार सिस्टम और सैटेलाइट केंद्रों को निशाना बनाया है. यह हमला खुफिया सूचना के आधार पर किया गया और इसे रणनीतिक जवाबी कार्रवाई बताया गया है. इजरायल के हमले के बाद ईरान ने संयुक्त राष्ट्र में चेतावनी दी है कि जवाबी कार्रवाई का समय, तरीका और स्तर उसकी सेना तय करेगी.

 

 

 

अमेरिका की दोहरी रणनीति: बातचीत का प्रस्ताव, सैन्य दबाव बरकरार

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक विशेष संबोधन में संकेत दिया कि अमेरिका फिर से ईरान के साथ बातचीत शुरू करने को तैयार है, ताकि लंबे युद्ध से बचा जा सके. इसके साथ ही उन्होंने MIGA (Make Iran Great Again) का नारा भी दिया, जो उनके पुराने "MAGA" नारे की तर्ज पर है. हालांकि, अमेरिका ने ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमले कर यह भी दिखा दिया कि वह सैन्य ताकत के इस्तेमाल से पीछे नहीं हटेगा. इधर अमेरिका ने वैश्विक स्तर पर अपने नागरिकों के लिए 'वर्ल्डवाइड अलर्ट' जारी किया है, जिसमें मध्य पूर्व में यात्रा पर सावधानी बरतने की सलाह दी गई है. हवाई मार्गों पर भी असर देखा जा रहा है, जहां कुछ एयरस्पेस अस्थायी रूप से बंद कर दिए गए हैं. 

 

अमेरिकी हमलों पर आयीं अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाएं

रूस ने अमेरिका के हमलों को "गैर-जिम्मेदाराना और उकसावे वाला" बताया और तुरंत संघर्षविराम की मांग की. चीन ने भी अमेरिका की कार्रवाई की कड़ी निंदा करते हुए सभी पक्षों से संयम बरतने और कूटनीतिक समाधान की अपील की. जर्मनी ने अमेरिका का समर्थन करते हुए कहा कि अगर परमाणु ठिकानों को नष्ट किया गया है, तो यह एक मजबूत संदेश है. उत्तर कोरिया ने भी अमेरिकी हमले की निंदा की है और इसे एक संप्रभु देश की संप्रभुता का उल्लंघन बताया. 

 

मुस्लिम देशों की चुप्पी पर नाराज़गी

नेशनल कॉन्फ्रेंस नेता फारूक अब्दुल्ला ने मुस्लिम देशों की चुप्पी को निराशाजनक बताया. उन्होंने चेताया कि अगर आज यह चुप्पी बनी रही, तो भविष्य में अन्य देशों को भी अमेरिका जैसे शक्तिशाली देशों के हमलों का सामना करना पड़ सकता है.