Lagatar Desk : मिडिल ईस्ट में ईरान और इजरायल के बीच संघर्ष जारी है और अब यह युद्ध के कगार पर पहुंच चुकी है. 22 जून की सुबह अमेरिका की खुली सैन्य कार्रवाई के बाद ईरान ने होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद करने की धमकी दी है. ईरान की सरकारी प्रेस टीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, संसद ने होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद करने से संबंधित प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. यह कदम पूरी दुनिया की तेल आपूर्ति और कीमतों पर गहरा असर डाल सकता है. ईरान की चेतावनी से दुनिया के कई देश चिंतित हो गए हैं, जिनमें खुद अमेरिका भी शामिल है. बता दें कि Strait of Hormuz वह संकीर्ण समुद्री मार्ग है, जो फारस की खाड़ी को अरब सागर से जोड़ता है और जहां से वैश्विक तेल आपूर्ति का लगभग 20% हिस्सा गुजरता है.
#WATCH | Israel-Iran conflict | Cork, Ireland: Union Minister Hardeep Singh Puri says, "...Insofar as the global situation today is concerned, the escalation of tensions in the Middle East was not entirely unexpected. We had foreshadowed this. The government, under the PM, has… pic.twitter.com/4WeAO6Nljh
— ANI (@ANI) June 23, 2025
अमेरिकी हमले के बाद ईरान ने दी धमकी
दरअसल रविवार को अमेरिका ने ईरान के तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों ( फोर्डो, नतांज और इस्फहान ) पर बंकर-बस्टर बम, टॉमहॉक मिसाइल और 125 से अधिक सैन्य विमानों की मदद से हमला किया. इन हमलों को रणनीतिक आवश्यकता बताते हुए अमेरिका ने दावा किया कि ईरान का परमाणु कार्यक्रम वैश्विक शांति के लिए खतरा बनता जा रहा था. इसके जवाब में ईरान ने चेतावनी दी है कि अगर अमेरिका या उसके सहयोगी देश और आक्रामक कार्रवाई करते हैं, तो वह होर्मुज जलडमरूमध्य बंद कर देगा. साथ ही, तेहरान ने यह भी कहा है कि वह क्षेत्र में अमेरिकी नागरिकों और प्रतिष्ठानों को वैध सैन्य लक्ष्य मानेगा.
अमेरिका ने की चीन से अपील
फॉक्स न्यूज के अनुसार, अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने चीन से अपील की है कि वह ईरान को समझाए कि वह होर्मुज को बंद करने जैसी गलती न करे. उन्होंने कहा कि अगर ईरान यह कदम उठाता है, तो यह आर्थिक आत्महत्या होगी. अमेरिका इससे निपटने के लिए तैयार है, लेकिन इस कदम से सबसे ज्यादा नुकसान दूसरे देशों की अर्थव्यवस्थाओं को होगा. उन्होंने इस मसले पर बीजिंग से तत्काल कूटनीतिक हस्तक्षेप की मांग की, क्योंकि चीन की अपनी ऊर्जा निर्भरता भी इसी समुद्री मार्ग पर काफी हद तक आधारित है.
तेल की कमी की कोई चिंता नहीं, सरकार पूरी तरह सतर्क : भारत
ईरान की धमकी का असर भारत पर भी देखा जा रहा है, क्योंकि भारत अपनी बड़ी ऊर्जा जरूरतों के लिए पश्चिम एशिया से कच्चा तेल आयात करता है. हालांकि केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने आश्वासन दिया है कि तेल की कमी की कोई चिंता नहीं है. सरकार पूरी तरह सतर्क है. कहा है कि मध्य पूर्व में जो तनाव बढ़ रहा है, वह पूरी तरह से अचानक नहीं हुआ है. भारत सरकार पहले से ही इस हालात का अंदाजा लगाकर तैयारी कर रही थी. उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी की अगुवाई में सरकार स्थिति पर लगातार नजर बनाए हुए हैं. खासकर, अगर ईरान होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद कर देता है, तो भी भारत को कोई दिक्कत नहीं होगी.
#WATCH | Israel-Iran conflict | Cork, Ireland: Union Minister Hardeep Singh Puri says, "...It's very difficult to speculate on the price factor. The oil price for a long time was between 65 and 70. Then it was between 70 and 75...When the markets open on Monday, the consequences… pic.twitter.com/LEUMf0HjTE
— ANI (@ANI) June 23, 2025
पुरी ने बताया कि भारत हर दिन करीब 5.5 मिलियन बैरल कच्चा तेल इस्तेमाल करता है. इसमें से लगभग 1.5 से 2 मिलियन बैरल तेल ही होर्मुज जलडमरूमध्य के रास्ते आता है. बाकी करीब 4 मिलियन बैरल तेल भारत दूसरी जगहों से लाता है. इसलिए अगर होर्मुज जलडमरूमध्य बंद भी होता है, तो भी भारत के पास दूसरे रास्ते हैं, जिनसे तेल लाया जा सकता है. केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री ने बताया कि भारत की तेल कंपनियों के पास तीन हफ्तों तक का स्टॉक पहले से मौजूद है. कुछ कंपनियों के पास तो 25 दिन तक का स्टॉक है. यानी अभी आम जनता को घबराने की जरूरत नहीं है. हरदीप पुरी ने बताया कि भारत सभी अहम देशों से लगातार बातचीत कर रहा है. प्रधानमंत्री मोदी ने खुद ईरान के राष्ट्रपति से लंबी बातचीत की है ताकि तनाव को कम किया जा सके.
#WATCH | Israel-Iran conflict | Cork, Ireland: Union Minister Hardeep Singh Puri says, "...Insofar as the global situation today is concerned, the escalation of tensions in the Middle East was not entirely unexpected. We had foreshadowed this. The government, under the PM, has… pic.twitter.com/4WeAO6Nljh
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मार्ग अवरुद्ध हुआ तो वैश्विक तेल कीमतों में आयेगी तेजी
चीन ने अमेरिका के हमलों की कड़ी निंदा करते हुए इसे यूएन चार्टर और अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन करार दिया. बीजिंग ने साफ कहा कि यह हमला पश्चिम एशिया में तनाव को और भड़का रहा है. अमेरिका को एकतरफा सैन्य कार्रवाइयों से बचना चाहिए और तत्काल संवाद एवं संघर्षविराम सुनिश्चित किया जाना चाहिए. होर्मुज जलडमरूमध्य की सुरक्षा अंतरराष्ट्रीय व्यापार और ऊर्जा नीति के लिए अत्यधिक संवेदनशील मामला है. यदि यह मार्ग अवरुद्ध होता है, तो वैश्विक तेल कीमतों में तेज उछाल, सप्लाई चेन बाधाएं, और भू-राजनीतिक अस्थिरता तय मानी जा रही है.