Jamshedpur : जमशेदपुर में एनएच-33 पर लगने वाले भारी जाम से लोगों को राहत मिलने की उम्मीद एक बार फिर टूट गई है.जाम से निपटने के लिए कांदरबेड़ा से दोमुहानी तक सड़क चौड़ीकरण परियोजना को अहम माना जा रहा था, लेकिन अब यह योजना अटक गई है.
सरायकेला वन प्रमंडल के डीएफओ ने पथ निर्माण विभाग द्वारा भेजे गए वन भूमि हस्तांतरण के प्रस्ताव को कई गंभीर कमियों के साथ लौटा दिया है. वन विभाग का कहना है कि प्रस्ताव के साथ जरूरी दस्तावेज पूरे नहीं किए गए हैं. वन विभाग ने 14 बड़ी खामियां गिनाई हैं. इनमें परियोजना का विस्तृत विवरण, जीपीएस को-ऑर्डिनेट्स के साथ पूरा नक्शा, टोपोशीट, ले-आउट प्लान, वन भूमि और गैर-वन भूमि की सूची तथा सीओ से सत्यापित भूमि विवरण शामिल नहीं हैं.
इसके अलावा यह प्रमाण पत्र भी नहीं दिया गया कि परियोजना के लिए कोई वैकल्पिक गैर-वन भूमि उपलब्ध नहीं है.जंगल-झाड़ी वाली जमीन के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र और कम से कम वन भूमि उपयोग करने का शपथपत्र भी फाइल में नहीं है. वन विभाग ने यह भी आपत्ति जताई कि वन अधिकार अधिनियम के तहत जिला और ग्रामसभा स्तर की कार्यवाही, काटे जाने वाले पेड़ों की सूची, लागत-लाभ विश्लेषण, क्षतिपूरक वनीकरण से जुड़े दस्तावेज और एनपीवी जमा करने की स्पष्ट जानकारी भी नहीं दी गई है.
यह परियोजना शहर की ट्रैफिक व्यवस्था के लिए बहुत जरूरी मानी जा रही थी. फिलहाल, पारडीह से बालिगुमा के बीच फ्लाईओवर का निर्माण चल रहा है, जिससे एनएच-33 पर दिन-रात जाम की स्थिति बनी रहती है. पहले कांडरबेड़ा से दोमुहानी (सोनारी) तक सड़क चौड़ी होने से भारी वाहन और बसें एनएच-33 से बचे बिना सीधे मरीन ड्राइव होते हुए औद्योगिक क्षेत्र या बस स्टैंड तक पहुंच सकती थीं. लेकिन वन विभाग की आपत्तियों के बाद इस वैकल्पिक मार्ग का काम अनिश्चित समय के लिए रोक दिया गया है. डीएफओ ने पथ निर्माण विभाग से कहा है कि सभी खामियों को दूर कर नया प्रस्ताव दोबारा जमा करें. इसके बाद ही आगे की प्रक्रिया शुरू हो सकेगी.
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