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Jamshedpur:  पार्किंग शुल्क पर रेलवे के जवाब से संतुष्ट नहीं सरयू राय, उठाए कई सवाल

विधायक सरयू राय.
  • पार्किंग को रेलवे बना रहा है मुनाफाखोरी का धंधा.
  • पैसेंजर होने चाहिए रेलवे की शीर्ष प्राथमिकता में.
  • मारपीट की घटनाएं जमशेदपुर में ही क्यों होती हैं.

Vishwajeet Bhatt

Jamshedpur:   जमशेदपुर पश्चिमी के विधायक सरयू राय द्वारा विगत दिनों पांच घंटे पार्किंग के एवज में 5310 रुपये का जुर्माना ठोंकने संबंधित घटना के संबंध में 29 अगस्त को लिखे पत्र का रेलवे के सहायक वाणिज्य प्रबंधक, चक्रधरपुर ने जवाब दिया है. रेलवे की तरफ से लिखे पत्र में कहा गया है कि पार्किंग की ठेकेदारी ई-नीलामी के माध्यम से होती है. इसमें रेलवे की कोई भूमिका नहीं होती.

इस पर विधायक सरयू राय ने कहा कि रेलवे को यह पता है कि जमशेदपुर रेलवे स्टेशन पर कितनी गाड़ियां आती-जाती हैं, पैसेंजर कितने आते-जाते हैं. ऐसी स्थिति में रेलवे की पार्किंग बहुत ऊंची दरों पर दी जाती है और रेलवे मौन रहता है.  ऐसे में यह क्यों न माना जाए कि रेलवे पार्किंग को मुनाफाखोरी का धंधा बना रहा है. इस पत्र में रेल प्रबंधन ने जो तर्क दिये हैं, वो विश्वसनीय नहीं हैं. रेलवे की पहली जिम्मेदारी है यात्रियों की सुविधा का ध्यान रखना, यात्रियों को छोड़ने-ले आने वाले मित्रों-सगे-संबंधियों की सुविधा को प्राथमिकता में रखना.  कोई व्यक्ति या संस्था अगर ऊंची दर पर पार्किंग का ठेका लेगी तो निश्चित तौर पर वह अनुचित कार्य करेगी ताकि वह इससे ज्यादा मुनाफा कमा सके. रेलवे को इस पर विचार करना चाहिए.

सरयू राय ने कहा कि रेलवे को यह बताना चाहिए कि पार्किंग को लेकर झगड़ा-झंझट जमशेदपुर में ही क्यों होता है? इसका मतलब है कि रेलवे प्रबंधन की मॉनीटरिंग सही नहीं है. जो रेट रेलवे ने तय किया, उसका पालन हो रहा है या नहीं, यह देखना रेलवे का ही तो काम है. केवल पैसेंजर या उनके दोस्तों-सगे-संबंधियों को दोषी ठहराना ठीक नहीं.  रेलवे को मीमांसा करनी चाहिए कि जिन लोगों को रेलवे ने ऊंची दरों पर पार्किंग दी है, उनका व्यवहार कैसा है और वे किस तरीके से पार्किंग का संचालन कर रहे हैं? उन्होंने जब यह विषय उठाया था तो इसका अर्थ रेलवे की नीयत पर शक करना नहीं था.  कुछ तो ऐसा है, जिससे आम तौर पर ऐसी घटनाएं घटती हैं. किसी का सिर फटता है, किसी की बांह टूटती है. रेलवे को बताना चाहिए कि ऐसा क्यों होता है? रेलवे यह भी बताए कि दोषियों पर उसने क्या कार्रवाई की.

गौरतलब है कि टाटानगर रेलवे स्टेशन के पार्किंग में किसी यात्री से 5 घंटा वाहन खड़ा करने के एवज में 5310 रु. का जुर्माना ठोका गया था. रेलवे का कहना है कि इस संबंध में 5310 नहीं, मात्र 1000 रुपये की बतौर जुर्माना वसूला गया. सरय़ू राय ने ज्ञापन में लिखा था कि रेलवे पार्किंग में आए दिन किसी न किसी विवाद का समाचार भी प्रकाशित होता रहता है. इससे आम जन और यात्रियों में पार्किंग शुल्क को लेकर असमंजस की स्थिति तो बनी ही हुई है साथ ही राष्ट्रीय स्तर पर टाटानगर रेलवे स्टेशन की छवि को भी क्षति पहुंच रही है. यह मामला अत्यंत गंभीर एवं आम नागरिकों से जुड़ा हुआ है.  इसलिए इसमें तत्काल सुधार करवाने तथा दोषियों पर कारवाई करने की आवश्यकता है.

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