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झारखंड में ब्लड रिप्लेसमेंट पर रोक के बाद खून की भारी कमी

Ranchi : थैलेसीमिया बच्चों को संक्रमित रक्त चढ़ाने के मामले के बाद रिप्लेसमेंट ब्लड सिस्टम पर रोक लगने का असर अब पूरे झारखंड में दिखने लगा है. राज्य के कई ब्लड बैंकों में रक्त की भारी कमी दर्ज की जा रही है. गंभीर मरीजों जैसे थैलेसीमिया, कैंसर, डेंगू और प्रसूति मामलों के इलाज में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है.

 

स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी ब्लड उपलब्धता रिपोर्ट के अनुसार, आज राज्य के ब्लड बैंकों में कुल उपलब्ध रक्त मात्र 1008 यूनिट रह गया है, जो सामान्य आवश्यकता की तुलना में बेहद कम है. कई प्रमुख अस्पतालों में स्टॉक लगभग खत्म हो चुका है. उदाहरण के तौर पर-

* RIMS, रांची: 0 यूनिट
* सदर अस्पताल रांची: 0 यूनिट
* मेडिका, रांची: 0 यूनिट
* मेदांता हॉस्पिटल, रांची: 0 यूनिट
* श्रीनिवास ब्लड बैंक, रांची: 0 यूनिट

कुछ निजी व ट्रस्ट संचालित ब्लड बैंकों में सीमित स्टॉक है, लेकिन वह भी तेजी से खत्म हो रहा है. गोड्डा जिला अस्पताल में 27 यूनिट और राज हॉस्पिटल रांची में 10 यूनिट दर्ज किए गए, लेकिन उनकी सप्लाई भी बढ़ती मांग के सामने बेहद कम है.

 

चाईबासा में थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों को एचआईवी संक्रमित रक्त चढ़ाए जाने की घटना के बाद राज्य सरकार ने रिप्लेसमेंट ब्लड सिस्टम पर तत्काल रोक लगा दी थी. इसका उद्देश्य अनियमितताओं पर लगाम लगाना था, लेकिन इसके कारण ब्लड सप्लाई चेन अचानक बाधित हो गई.

 

विभाग की समीक्षा बैठक

कल हुई उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक में स्वास्थ्य विभाग ने स्वीकार किया कि राज्य में खून की उपलब्धता संकट स्तर पर पहुंच चुकी है.

बैठक में निर्णय लिया गया

* जिलों में तुरंत स्वैच्छिक रक्तदान अभियान तेज करने का आदेश
* ब्लड सेफ्टी प्रोटोकॉल को और सख्त किया जाएगा
* ब्लड बैंक संचालन की कड़ी निगरानी
* संक्रमण मामले की जांच जल्द पूरी कर दोषियों पर कार्रवाई
* सभी सरकारी और निजी संस्थानों से रक्तदान कैंप आयोजित करने का आग्रह

 

अधिकारियों ने कहा कि फिलहाल समाधान का रास्ता बड़े पैमाने पर स्वैच्छिक रक्तदान ही है. विभाग ने आम नागरिकों से अपील की है कि वे आगे आकर जरूरतमंद मरीजों की जान बचाने में मदद करें.

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