Ranchi : झारखंड में आपातकालीन स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति चिंताजनक होती जा रही है. राज्य सरकार के पास वर्तमान में लगभग 1065 एम्बुलेंस हैं, जिनमें से 465 वाहन सेवा से बाहर हैं.
कई चालू एम्बुलेंसों की स्थिति भी खराब है. कई जिलों में ऐसे वाहन सड़क पर तो हैं, लेकिन उनके इंजन कमजोर हो चुके हैं, स्ट्रेचर टूटी हुई हैं और ऑक्सीजन सिलेंडर उपलब्ध नहीं हैं.
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के दिशा-निर्देशों के अनुसार हर एक लाख की आबादी पर कम से कम एक बेसिक लाइफ सपोर्ट (BLS) एम्बुलेंस और हर दस लाख की आबादी पर एक एडवांस लाइफ सपोर्ट (ALS) एम्बुलेंस अनिवार्य है.
फिलहाल राज्य में लगभग 600 एम्बुलेंस चालू हैं. इनमें से कई एक-एक एम्बुलेंस दस-दस गांवों को कवर कर रही हैं. ग्रामीण इलाकों में मरीजों को अस्पताल तक पहुंचाने में लंबा समय लग रहा है. कई बार गर्भवती महिलाओं और गंभीर रूप से बीमार मरीजों को समय पर एम्बुलेंस नहीं मिलने से जान गंवानी पड़ी है.
स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि रखरखाव और मरम्मत की प्रक्रिया जारी है. विभाग का दावा है कि आने वाले महीनों में सभी वाहन पुनः सेवा में ला दिए जाएंगे. हालांकि, कई जिलों में एम्बुलेंसें महीनों से गैर-कार्यशील पड़ी हैं, जबकि कॉल सेंटरों में मदद मांगने पर अक्सर जवाब मिलता है कि एम्बुलेंस उपलब्ध नहीं है.
बीते दिन 108 एम्बुलेंस कर्मचारियों की समस्याओं को लेकर झारखंड प्रदेश एम्बुलेंस कर्मचारी संघ ने स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव अजय कुमार सिंह से मुलाकात की.
बैठक के दौरान अपर मुख्य सचिव ने कर्मचारियों की सभी समस्याओं को गंभीरता से सुना और आश्वासन दिया कि 15 नवंबर 2025 तक एक उच्चस्तरीय समिति गठित कर सभी लंबित मुद्दों का समाधान सुनिश्चित किया जाएगा.



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