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झारखंड में जलवायु परिवर्तन का मंडरा रहा खतरा, कार्बन क्रेडिट परियोजनाओं की पहचान की हो रही कवायद

  • 1.5 से चार डिग्री सेल्सियस तापमान में वृद्धि की जताई गई है संभावना
  • देश के सबसे अधिक जलवायु-संवेदनशील क्षेत्रों में से एक है झारखंड

Ranchi: झारखंड में ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन का खतरा मंडरा रहा है. जो राज्य के प्राकृतिक संसाधनों और समुदायों पर भारी दबाव डाल रहा है. साथ ही झारखंड देश के सबसे अधिक जलवायु-संवेदनशील क्षेत्रों में से एक है. 
राज्य के वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग ने अपने अध्ययन में पाया है कि झारखंड में अल्पावधि में 1.5 डिग्री सेल्सियस और दीर्घावधि में लगभग 4 डिग्री सेल्सियस तापमान वृद्धि की संभावना है. इसको देखते हुए कार्बन क्रेडिट परिय़ोजनाओं के पहचान की कवायद शुरू कर दी गई है. 

 

कार्बन क्रेडिट परियोजनाएं: पर्यावरण संरक्षण का नया तरीका


कार्बन क्रेडिट परियोजनाएं ऐसी पहल हैं, जो वातावरण को स्वच्छ बनाने में मदद करती हैं. ये परियोजनाएं ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करती हैं. वायुमंडल से कार्बन को हटाती हैं, कार्बन क्रेडिट एक तरह का प्रमाण पत्र है जो एक टन कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन में कमी या हटाने का प्रतिनिधित्व करता है. ये क्रेडिट उन कंपनियों या देशों को बेचे जा सकते हैं जो अपने उत्सर्जन को संतुलित करना चाहते हैं.


परियोजना के तहत क्या होंगे काम


•    नवीकरणीय ऊर्जा: सौर और पवन ऊर्जा जैसे स्वच्छ स्रोतों का उपयोग.
•    वन और भूमि उपयोग: वृक्षारोपण और पुनर्वनीकरण से CO2 को अवशोषित करना.
•    ऊर्जा दक्षता: उद्योगों और घरों में ऊर्जा की बचत करना.
•    कार्बन क्रेडिट परियोजना पहचान में प्रकृति-आधारित समाधान करना
•    समुदाय-आधारित कुशल खाना पकाने के समाधान.
•    सतत कृषि के साथ वानिकी/कृषि वानिकी
•    बंद पड़े कोयला खदानों का पुनर्ग्रहण कर क्षरित वन भूमि का पुनर्ग्रहण कर पौधारोपण करना

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