Lagatar Desk : झारखंड विधानसभा का शीतकालीन सत्र समाप्त हो गया. बहस, विधेयक, अनुपूरक बजट, सवाल-जवाब, नोक-झोंक, आरोप-प्रत्यारोप के बीच जो बात निकल कर सामने आयी वह यह कि झारखंड सरकार आर्थिक संकट झेल रही है. केंद्र सरकार पैसे नहीं दे रही है. आपत्तियों के बहाने योजनाओं के लिए मिलने वाला पैसा रोका जा रहा है.
हालात का अंदाजा इससे लगा सकते हैं कि वित्त मंत्री राधा कृष्ण किशोर ने विपक्ष के नेता बाबूलाल मरांडी से यह तक कह दिया कि "हम हार गये, आग्रह है कि आप ही केंद्र से बात करके पैसे दिला दीजिये". उनका इशारा साफ था कि केंद्र में भाजपा की सरकार है और झारखंड में झामुमो-कांग्रेस की. राज्य में विपक्ष की सरकार होने की वजह से केंद्र सरकार दिक्कतें पैदा कर रही हैं.
दूसरा उदाहरण ग्रामीण विकास मंत्री दीपिका पांडेय सिंह हैं. विपक्ष के नेता बाबूलाल मरांडी ने यह राय दी कि 15वें वित्त आयोग का पैसा नहीं मिल रहा है, तो केंद्र से पैसा लेने के लिए केंद्रीय मंत्री से मिलें. इस पर दीपिका पांडेय सिंह ने कहा कि एक साल से समय मांग रहे हैं, लेकिन उन्हें तरजीह नहीं दी गई. उन्होंने आगे कहा कि तमाम शर्तें पूरी करने के बाद नई शर्तें लगा दी गईं. उसे भी पूरा कर दिया गया, इसके बाद भी 2700 करोड़ जारी नहीं किए गए.
बाबूलाल मरांडी ने छात्रों को मिलने वाली छात्रवृत्ति ना मिलने का सवाल उठाया. इस पर भी सत्ता पक्ष की तरफ से कहा गया कि छात्रवृत्ति में केंद्र की तरफ से फंड जारी नहीं किया जा रहा है. इतना ही नहीं केंद्र सरकार ने ओबीसी व अल्पसंख्यक छात्रों को मिलने वाली छात्रवृत्ति योजनाओं में 90 से 95 प्रतिशत की कटौती कर दी.
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