Ranchi : झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य की स्पेशल ऑक्सिलरी पुलिस फोर्स (SAP) में अनुबंध के आधार पर कार्यरत पूर्व सैनिकों के सेवा विस्तार को लेकर एक महत्वपूर्ण फैसला दिया है. अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि अनुबंध पर नियुक्त पूर्व सैनिक गवर्निंग स्कीम में तय समय सीमा के बाद नौकरी जारी रखने या नियमित सरकारी कर्मचारियों की तरह सेवानिवृत्ति आयु तक सेवा विस्तार का दावा नहीं कर सकते हैं.
झारखंड हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस आनंदा सेन की एकल पीठ में मामले की सुनवाई हुई. अदालत ने कहा कि SAP का गठन 7 जून 2008 को एक विशेष सरकारी योजना के तहत किया गया था. इस योजना के क्लॉज-3 में स्पष्ट उल्लेख है कि नियुक्ति शुरुआत में 2 वर्ष के लिए होगी, जिसे अधिकतम 5 वर्ष और बढ़ाया जा सकता है. यानी कुल सेवा अवधि 7 वर्ष निर्धारित है.
कोर्ट ने अपने आदेश में सख्त लहजे में कहा कि जब योजना में सेवानिवृत्ति की आयु का कोई प्रावधान नहीं है और केवल कार्यकाल तय किया गया है तो कर्मचारी नियमित सरकारी कर्मचारियों के समान अधिकारों की मांग नहीं कर सकते हैं. योजना में कोई भी बदलाव केवल आधिकारिक संशोधन से ही संभव है, किसी सिफारिशी पत्र से नहीं.
याचिकाकर्ताओं (पूर्व सैनिकों) का तर्क था कि उनकी सेवानिवृत्ति की उम्र सरकारी कर्मचारियों के बराबर होनी चाहिए. उन्होंने राज्य सरकार पर भेदभाव का आरोप लगाते हुए कहा कि विभाग ने कुछ कर्मियों को 15 साल तक काम करने दिया, जबकि दूसरों को 7 साल में ही हटा दिया गया. उन्होंने विभाग के भीतर हुई आंतरिक बातचीत और सिफारिशों को आधार बनाकर सेवा विस्तार की मांग की थी. लेकिन हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ताओं के सभी तर्कों को खारिज कर दिया.
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