Search

पुराने मामलों से सबक नहीं ले रही झारखंड पुलिस, निर्दोषों को साजिश के तहत भेज रही जेल

Ranchi : झारखंड पुलिस  पुराने मामलों से भी सबक नहीं ले रही है. वह निर्दोषों को साजिश के तहत झूठे केस फंसाकर जेल भेजने का काम कर रही है. बीते दिनों खूंटी जिलाबल के एक दरोगा का बीते तीन दशकों से जिस व्यक्ति के परिवार से विवाद चल रहा था, उसे बदले की भावना में अफीम की खेती का आरोप लगाया और उसे जेल भेजने का काम किया.

 

झारखंड में इस तरह यह पहला मामला नहीं हैं. पहले भी इस तरह के कई ऐसे मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें निर्दोषों को जेल जाना पड़ा है. इस वजह से पुलिस अपनी ही कार्यप्रणाली को लेकर सवालों से घिर गयी है.  आइये आपको बताते हैं कि किन-किन मामलों में पुलिस ने साजिश कर निर्दोषों को जेल भेजा है.

 

केस 1 :  जिंदा लड़की की हत्या के आरोप में तीन निर्दोष छात्रों को भेजा जेल 

15 फरवरी 2014 को रांची के चुटिया की रहने वाली प्रीति नामक एक युवती लापता हो गई थी. इसके अगले दिन बुंडू थाना क्षेत्र स्थित मांझी टोली पक्की रोड के समीप एक युवती की जली हुई लाश मिली. 

 

पोस्टमार्टम रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि युवती की हत्या के बाद अपराधियों ने उसे जला दिया. पुलिस ने प्रीति के अपहरण के बाद हत्या कर जलाने का मामला दर्ज किया और धुर्वा के तीन युवकों अजित कुमार, अमरजीत कुमार व अभिमन्यु उर्फ मोनू को जेल भेज दिया.

 

15 मई 2014 को रांची पुलिस ने तीनों के विरुद्ध अपहरण, सामूहिक दुष्कर्म व हत्या कर जलाने के मामले में आरोप पत्र भी दाखिल कर दिया. युवक इनकार करते रहे कि उनका इस मामले से कोई लेना-देना नहीं, लेकिन पुलिस ने एक नहीं सुनी.  उसे तो जैसे बस फाइल बंद करनी थी. 

 

इसके बाद चार महीने बाद 14 जून 2014 को अपने प्रेमी के साथ फरार हुई प्रीति करीब जिंदा वापस लौटी, तो सबके होश उड़ गए.  मामले ने तूल पकड़ा और इस पूरे प्रकरण की जांच की जिम्मेदारी अपराध अनुसंधान विभाग (सीआईडी) को दे दी गई. सीआईडी की जांच के बाद तथ्य की भूल बताते हुए कोर्ट में रिपोर्ट प्रस्तुत किया गया. इसके बाद तीनों ही निर्दोष छात्र बरी हुए.

 

केस 2 :  शराब तस्करी के आरोप में 25 दिनों तक जेल में रखा 

रांची के तत्कालीन हटिया डीएसपी विनोद रवानी पर शराब माफिया के साथ मिलकर हटिया के रहने वाले दो निर्दोष व्यक्तियों को झूठे मामले में फंसा कर जेल भेजने का आरोप है. मामला 31 सितंबर 2018 का है.

 

इस बात का जब खुलासा हुआ तो आनन-फानन में जांच करवाकर दोनों निर्दोष युवकों को जेल से बाहर निकाला गया. फर्जी शराब कांड में शामिल तीन थाना प्रभारी, जिसमें धुर्वा, डोरंडा और तुपुदाना के प्रभारी शामिल थे, उन्हें तुरंत लाइन हाजिर कर दिया गया.

 

लेकिन, हटिया डीएसपी पर कोई कार्रवाई नहीं की गयी. जबकि पीड़ित परिवार वालों के अनुसार और पुलिस की रिपोर्ट में फर्जी शराब कांड की पूरी साजिश रचने का मास्टरमाइंड हटिया डीएसपी को ही बताया गया है.

 

केस 3 : मानव तस्करी के झूठे आरोप में 6 माह जेल में रही महिला 

22 जून 2017 को रेल पुलिस ने सिमडेगा की जिलानी लुगुन को मानव तस्करी के आरोप में गिरफ्तार किया. महिला छह महीने जेल में भी रही. लेकिन बाद में रेलवे न्यायालय ने यह पाया कि महिला पर लगाये गये मानव तस्करी के आरोप झूठे हैं. 

 

जिलानी लुगुन पर जिस बच्ची की तस्करी करने का आरोप लगाया गया था, उस बच्ची ने धारा 164 के तहत कोर्ट में जिलानी लुगुन के पक्ष में बयान दिया था. जिसके बाद कोर्ट ने जिलानी लुगुन को क्लीन चिट दे दी और उसे बरी कर दिया.

 

केस 4 :  हत्या आरोपी को पूछताछ के बाद छोड़ा, निर्दोष को भेजा जेल

रांची जिले की नगड़ी थाना पुलिस की लापरवाही के कारण हत्या के आरोप में निर्दोष सूरज सोनी 19 महीने जेल में रहा. 18 मई 2023 को अपर न्यायायुक्त दिनेश कुमार सोनी की अदालत ने उसे साक्ष्य के अभाव में रिहा किया.

 

दिनेश कुमार सोनी को विमल महतो उर्फ तुतु महतो की हत्या के आरोप में पुलिस ने 12 सितंबर 2021 को गिरफ्तार कर जेल भेजा था. विमल महतो उर्फ तुतु महतो के भाई बरजू महताे ने कल्लू उर्फ सूरज सोनी और प्रिंस सोनी (दोनों गुमला निवासी) पर प्राथमिकी दर्ज करायी थी.

 

इसके बाद भी पुलिस ने नगड़ी निवासी सूरज सोनी को गिरफ्तार कर लिया. बताया गया कि इस मामले में कल्लू उर्फ सूरज सोनी को नगड़ी पुलिस थाना लेकर आई थी और पांच दिन तक हाजत में भी बंद रखा, लेकिन बाद में उसे छोड़ दिया. उसके बदले पुलिस ने दूसरे सूरज सोनी को पकड़ कर जेल भेज दिया.

 

केस 5 :  पुलिस ने हथियार प्लांट कर बनाया झूठा केस  

बीते दो जून 2020 को रामगढ़ जिले की पतरातू पुलिस ने बालू कारोबारी राजेश राम को मोरहाबादी स्थित बोड़ेया रोड के एक फ्लैट में छापेमारी कर पकड़ा. लेकिन जब इस मामले में प्राथमिकी दर्ज की गई तो पतरातू थाने के जेएसआई मुराद हसन ने यह लिखवाया कि पतरातू में नलकारी पुल के पास वाहन चेकिंग के दौरान भाग रहे एक वाहन को पकड़ा गया.  पकड़े गए वाहन से दो लोगों को गिरफ्तार किया गया, जिनमें राजेश राम व शिवा महली शामिल हैं. दोनों आरोपियों के पास से रिवाल्वर बरामद किया गया. पुलिस ने आ‌र्म्स एक्ट में प्राथमिकी दर्ज कर राजेश राम को जेल भेज दिया. 

 

इधर, जैसे ही राजेश के परिजन को पतरातू पुलिस के फर्जीवाड़े की जानकारी मिली, वे पुलिस मुख्यालय पहुंच गये. परिजन ने पुलिस मुख्यालय में शिकायत की कि राजेश की गिरफ्तारी मोरहाबादी से हुई थी. उन्होंने पुलिस मुख्यालय को सीसीटीवी फुटेज भी सौंपा. इसके बाद पूरे मामले की जांच करायी गयी तो हथियार प्लांट कर झूठा केस बनाने और जेल भेजने के मामले में पतरातू थानेदार सहित चार पुलिसकर्मी निलंबित किए गए.

 

केस 6 :  चतरा पुलिस ने निर्दोष युवक को दोषी बनाकर कोर्ट में पेश किया 

चतरा के टंडवा थाना की पुलिस ने अक्टूबर 2019 में निर्दोष युवक  मनीष कुमार सिंह को दोषी बनाकर कोर्ट में पेश किया था. जांच अधिकारी ने अपनी खामियों को छिपाने की नीयत से असली दोषी के ढूंढने की जगह निर्दोष युवक को गिरफ्तार किया और फिर फर्जी नाम से जेल भेज दिया.

 

हांलाकि इस मामले का जल्द पर्दाफाश हो गया. आईओ सचिदानंद सिंह की इस हरकत के लिए जज ने कोर्ट में ही पुलिस को फटकार लगायी और युवक को छोड़ने का आदेश दिया.

 

जानकारी के अनुसार, टंडवा थाना में दर्ज कांड संख्या 112/18 में कार्रवाई करते हुए आईओ सचिदानंद सिंह ने आरोपी को जेल भेजने के लिए अदालत में पेश किया था. इस केस में कुंमडांग गांव निवासी लेखु सिंह को जेल भेजना था, लेकिन केस के आईओ ने लेखु के बजाय गांव के ही मनीष कुमार सिंह नाम के निर्दोष युवक को गिरफ्तार कर उसका चालान कर दिया. इतना ही नहीं आईओ ने मामले में मनीष के नाम के बाद उर्फ लेखु भी लिख दिया था.

 

 

Lagatar Media की यह खबर आपको कैसी लगी. नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में अपनी राय साझा करें

Comments

Leave a Comment

Follow us on WhatsApp