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झारखंड पुलिस की रिपोर्ट: पिछले 25 साल के दौरान नक्सलियों के मारे जाने से अधिक सुरक्षाबल हुए शहीद

Ranchi : झारखंड में नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई में नक्सलियों के मारे जाने से अधिक सुरक्षाबल शहीद हुए है. झारखंड पुलिस के रिपोर्ट के मुताबिक झारखंड में साल 2001 से लेकर साल 2025 के सितंबर महीने तक पुलिस नक्सल मुठभेड़ में 235 नक्सली और उग्रवादी मारे गए, हालांकि इस अवधि के दौरान 555 सुरक्षाबल शहीद हुए जिनमें 408 झारखंड पुलिस के और 147 केंद्रीय पुलिस बल के जवान शामिल थे. 

 

वहीं, दूसरी तरफ इन 25 सालों में झारखंड पुलिस और केंद्रीय बल ने कार्रवाई करते हुए 10769 नक्सलियों और उग्रवादियों को गिरफ्तार करने में सफलता हासिल किया, साथ ही 1471 हथियार बरामद किया जिनमें 710 पुलिस से लूटा हुआ हथियार शामिल है.

 

वहीं, दूसरी तरफ सरकार की आत्मसमर्पण नीति से प्रभावित और पुलिस की दबिश से परेशान होकर 324 नक्सलियों ने सरेंडर कर दिया. झारखंड पुलिस के आईजी अभियान ने गुरुवार की देर शाम प्रेस कॉन्फ्रेंस कर यह जानकारी दी.

 

जाने किस साल कितने नक्सली मारे गए

झारखंड पुलिस के रिपोर्ट के मुताबिक साल 2001 से लेकर 2010 तक मुठभेड़ में एक भी नक्सली नहीं मारे गए थे. इसके बाद 2011 में 17, 2012 में 04, 2013 में 13, 2014 में 10, 2015 में 25, 2016 में 21, 2017 में 12, 2018 में 26, 2019 में 26, 2020 में 14, 2021 में 06, 2022 में 11, 2023 में 09, 2024 में 09 और 2025 में सितम्बर महीने तक 32 नक्सली मारे गए.

 

झारखंड में एसआरई जिले की संख्या की बात की जाए तो साल 2005 में 16 थे, 2012 में बढ़कर 21 हो गए, इसके बाद 2016 में 22, फिर 2018 में घटकर 19, 2021 में 16, 2024 में 11 और 2025 में 04 है.

 

झारखंड में कुल 584 थाना और 91 ओपी है

झारखंड पुलिस के रिपोर्ट के मुताबिक में झारखंड में कुल 584 थाना और 91 ओपी (आउट पोस्ट) है. जिनमें सामान्य थाना 435, ट्रैफिक थाना 20, महिला थाना 41, एसटी एससी थाना 24, साइबर थाना 15, एटीएस थाना 01, सीआईडी थाना 01,  एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग थाना 24 और रेल थाना 23 शामिल है.

 

 झारखंड गठन से लेकर अब तक पुलिसकर्मियों स्वीकृत पदों की संख्या में 170% हुई वृद्धि

झारखंड गठन से लेकर अब तक पुलिसकर्मियों स्वीकृत पदों की संख्या में 170% की  वृद्धि हुई है. साल 2000 में झारखंड पुलिस में पुलिसकर्मियों के स्वीकृत पदों की संख्या 29295 थी जो साल 2025 में बढ़कर 79035हो गई. साल 2000 में झारखंड पुलिस में जिला बाल में स्वीकृत पुलिसकर्मियों की संख्या 23143 थी जो साल 2025 में बढ़कर 57259 हो गई.

 

झारखंड में आईपीएस के 158 पद है स्वीकृत

झारखंड में वर्तमान में आईपीएस के 158 पद हैं स्वीकृत जो राज्य गठन के समय 135 थी. दूसरी तरफ डीएसपी के स्वीकृत पदों की बात की जाए तो साल 2000 में डीएसपी के 145 पद स्वीकृत थे. वहीं, साल 2025 तक डीएसपी का 391 पद स्वीकृत है, सीनियर डीएसपी 38 पद स्वीकृत है, एएसपी का 39 और एसपी का चार पद स्वीकृत है.

 झारखंड पुलिस हाउसिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड के द्वारा हजारों बिल्डिंग का कराया गया निर्माण 

झारखंड पुलिस हाउसिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड के द्वारा हजारों बिल्डिंग का निर्माण कराया गया, जिनमें 2547 क्वार्टर, 61 डीएसपी आवास, 07 सात एसपी आवास, 05 कमांडेंट आवास, 414 थाना और 15386 बैरक शामिल है.

 

 झारखंड में पिछले 8 साल के दौरान साइबर अपराध को लेकर 10480 केस हुए दर्ज

झारखंड में साल 2016 से लेकर साल 2025 तक साइबर अपराध से जुड़े 10480 मामले दर्ज हुए हैं जिनमें 7172 सेवर अपराधियों को गिरफ्तार भी किया गया. इसके अलावा 10997 मोबाइल फोन, 16432 सिम कार्ड, 3977 एटीएम कार्ड, 1807 पासबुक 563 चेक बुक, 194 लैपटॉप, 504 मोटरसाइकिल 126 कार, चार क्लोन मशीन 40 स्वाइप मशीन, 17 राउटर और 28 करोड रुपए जब्त किए गए.

 

राज्य गठन के बाद स्थापित की संस्थाएं 

- झारखंड जगुआर (एसटीएफ) नक्सल उन्मूलन अभियान के लिए विशेष रूप से गठित जिसमें कुल 40 टीमें कार्यरत है.

- एसआईएसएफ राज्य में ओधौगिक संस्थानों की सुरक्षा के लिए गठित जिसमें कुल 14 यूनिट कार्यरत है.

- एटीएस की स्थापना उग्रवाद के खिलाफ कार्रवाई और नियंत्रण के साथ संगठित अपराधी गिरोह के खिलाफ कार्रवाई के लिए किया गया.

- एसआईबी  की स्थापना विशेष रूप से नक्सलियों की गतिविधि के संबंध में आसूचना संकलन कर प्रभावी कार्रवाई के लिए किया गया.

- एसआईआरबी की स्थापना नक्सल उन्मूलन अभियान, कानून व्यवस्था संधारण व विकास कार्यों की सुरक्षा के लिए किया गया.

- सैप वाहिनी की स्थापना राज्य सशस्त्र बल की सहायता, सुरक्षा, कानून व्यवस्था संधारण के लिए किया गया.

- सीआईएटी की स्थापना राज्य पुलिस बल को नक्सल उन्मूलन के लिए विशेष प्रशिक्षण के लिये किया गया.

- सीटीसी मुसाबनी की स्थापना पुलिस आरक्षी के प्रशिक्षण के लिए किया गया.

- आईटीएस की स्थापना अनुसंधान, कानून व्यवस्था संधारण, अपराध नियंत्रण संबंधी प्रशिक्षण के लिए किया गया.

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