Ranchi : भुवनेश्वर में आयोजित साहित्य महोत्सव में झारखंड की जनजातीय भाषाओं की धूम रही. झारखंड की जनजातीय भाषाओं के कवियों ने महोत्सव में शामिल होकर अपनी अपनी कविताओं का पाठ किया. इस महोत्सव में 22 भाषाओं के 200 से अधिक कवियों ओर रचनाकारों ने हिस्सा लिया.
इस महोत्सव का सफल संचालन बहुभाषी कवि व अनुवादक डॉक्टर संघमित्रा रायगुरू ने किया. महोत्सव में ओडिशा विधानसभा के स्पीकर सुरमा पाढ़ी, साहित्य अकादमी के सचिव के श्रीनिवास राव, भाषाविद पद्मश्री देवी प्रसन्न पटनायक, समीक्षक प्रफुल महांती भी शामिल हुए.

डॉक्टर संघमित्रा रायगुरू
परिचय लिट्रेरी फेस्टिवल का आयोजन भुवनेश्वर में किया गया. दो दिवसीय (15-17 नवंबर) इस महोत्सव में झारखंड की जनजातीय भाषाओं के कवियों को डॉक्टर संघमित्रा रायगुरू के प्रयास से जगह मिली थी. वह जनजातीय भाषाओं को राष्ट्रीय फलक पर लाने के लिए प्रयासरत रही है.
इस महोत्सव में नेतलाल यादव (खोरठा), महादेव डुंगरियार (कुड़माली) और प्रेमचंद उरांव (कुडुख) शामिल हुए. अंग्रेजी अनुवादक देवीदत्त सारंगी और हिंदी कवि मुकुंद रविदास ने अपनी-अपनी भाषाओं में काव्य पाठ किया. महोत्सव में विभिन्न भाषाओं की अनुदित पुस्तकों को लोकार्पण हुआ. समारोह में शामिल विभिन्न भाषाओं के रचनाकारों ने अपनी-अपनी रचनाओं का पाठ किया.
इस दो दिवसीय समारोह का आयोजन डॉक्टर रोजलीन पट्टसानी मिश्रा और प्रियदर्शी मिश्रा के नेतृत्व में आयोजित किया गया. यह आयोजन इस वर्ष भी भारतीय साहित्य की विविधता और सांस्कृतिक एकता का सशक्त प्रतीक बनकर सामने आया.
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