Ranchi: झारखंड की समृद्ध और प्राचीन भाषा मुंडारी को वैश्विक मंच पर पहुंच गया है. यह ऐतिहासिक पहल के रूप में आदिवाणी ऐप प्ले स्टोर पर लॉन्च हो गया है. विज्ञान एवं तकनीक ने जनजातीय भाषाओं को डिजिटल युग में बदल दिया है. दो जनजाति भाषाओं को पहचान दिलाई है. ऐप के आते ही मुंडारी–संथाली भाषाओं को सीखना, समझना और अनुवाद करना बेहद आसान हो गया है.
हिंदी से मुंडारी–संथाली में होता है अनुवाद
‘आदिवाणी ऐप’ की सबसे बड़ी खासियत है कि इसमें हिंदी,इंग्लिश,संथाली,गोंडी,भीली और मुंडारी भाषा में ट्रांसलेट करने की सुविधा दी गई है. अब कोई भी उपयोगकर्ता हिंदी से मुंडारी और संथाली में शब्द, वाक्य या पूरा टेक्स्ट तुरंत अनुवाद कर सकता है. भाषा सीखने वालों, शोधकर्ताओं और छात्र-छात्राओं के लिए यह काफी महत्वपूर्ण ऐप बन गया है.
छात्रों के लिए डिजिटल गुरु उभर कर आई सामने
मुंडारी–संथाली भाषाई क्षेत्रों के छात्र अब अपनी मातृभाषा मोबाइल स्क्रीन पर सीख सकते हैं. स्कूल और कॉलेज के युवाओं के लिए यह ऐप एक आधुनिक डिजिटल शिक्षक बनकर उभरा है. यह मातृभाषा की समझ को मजबूत करेगा और सीखने की प्रक्रिया को सरल बना दिया.
डॉ. रामदयाल मुंडा जनजातीय शोध संस्थान का रहा महत्वपूर्ण योगदान
मुंडारी झारखंड की प्रमुख भाषाओं में शामिल हो गया है. यह भाषा अब तकनीक के सहारे अंतरराष्ट्रीय मंच पर स्थापित हो चुकी है. आदिवाणी डिजिटल युग में जनजातीय भाषाओं को नई पहचान दिलाने वाली पहला बड़ा प्रयास है. भारत सरकार के जनजातीय कार्य मंत्रालय ने ओडिशा,झारखंड समेत अन्य राज्यों को जनजातिय भाषाओं के विकास के लिए प्रोजेक्ट दिया था. मुंडारी भाषा के डेटा संकलन में डॉ.रामदयाल मुंडा जनजातीय शोध संस्थान, रांची की विशेषज्ञ टीम ने अहम भूमिका निभाई है.
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