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JPSC के 21 वर्षों का कारनामा, एक भी परीक्षा बिना विवाद के नहीं हो पायी सफल

Ranchi : पिछले 21 सालों में झारखंड सिविल सेवा की मात्र सात परीक्षाएं हो पायी हैं और वह सभी विवादों में रहीं. इन परीक्षाओं में राज्य के मेधावी छात्र इसलिए सफल नहीं हो सके, क्योंकि उनके मेरिट पर डाका डाला गया. राज्य सिविल सेवा परीक्षाओं में जमकर अनियमितता बरती गयी, लेकिन शासन ने अपनी आंखें मूंद ली. वर्ष 2009 में तत्कालीन राज्यपाल सैयद सिब्ते रजी ने प्रथम तथा द्वितीय सिविल सेवा परीक्षा सहित दर्जन भर परीक्षाओं की जंच का जिम्मा निगरानी को सौंपा. निगरानी ब्यूरो की ओर से प्रथम और द्वितीय सिविल सेवा परीक्षा में की गई धांधली की जांच रिपोर्ट सरकार को सौंपी गयी. लेकिन तत्कालीन सरकार (अर्जुन मुंडा) ने निगरानी रिपोर्ट पर कार्यवाही करने के बजाय उसे ठंडे बस्ते में डाल दिया. इस बीच झारखंड विधानसभा में जेपीएससी द्वारा ली गयी परीक्षाओं की सीबीआर्इ जंच का मुद्दा भी उठा, लेकिन सदन में तत्कालीन सरकार ने सीबीआर्इ जांच से इनकार कर दिया. इसके बाद झारखंड उच्च न्यायालय ने अगस्त 2012 में जेपीएससी द्वारा ली गयी प्रथम व द्वितीय सिविल सेवा परीक्षा सहित दर्जनों परीक्षा की जांच सीबीआई से कराने का आदेश दिनांक 14.06.2012 (W.P.-PIL NO. 3594/2011) जारी किया.  साथ ही, कोर्ट द्वारा द्वितीय सिविल सेवा के 166 अफसरों के काम करने और वेतन लेने पर भी रोक लगा दी.

राज्य सरकार ने कोर्ट में अपना पक्ष मजबूती से नहीं रखा

लेकिन पद से हटाये गए अधिकारी हार्इकोर्ट के फैसले के विरूद्ध सुप्रीम कोर्ट चले गए और कोर्ट ने उन्हें पुनः नौकरी पर बहाल करने का आदेश जारी कर दिया. उल्लेखनीय हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने इन्हें पुनः इसलिए बहाल कर दिया क्योंकि राज्य सरकार ने कोर्ट में अपना पक्ष मजबूती से नहीं रखा. आगे अधिकारियों ने अपने विरुद्ध सीबीआर्इ जांच को बंद कराने की लड़ाई जारी रखी. बीच में सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के बाद सीबीआई जांच रोक दी गयी. लेकिन फिर प्रार्थी द्वारा सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर सीबीआई जांच शुरू करवाई गयी. पिछले 9 वर्षो से सीबीआई की जांच चल ही रही है, कब तक पूरी होगी, इसकी कोई डेडलाइन नहीं दी जा सकती है. सीबीआई जांच से पूर्व प्रथम व द्वितीय जेपीएससी नियुक्ति घोटाले की जांच राज्य निगरानी व्यूरो द्वारा करायी गयी थी. निगरानी ब्यूरो ने अपने अंतिम जांच प्रतिवेदन में चयनित अभ्यर्थियों तथा आयोग के अध्यक्ष व सदस्यों को नियुक्ति घोटाले का दोषी माना था, जबकि तत्त्कालीन सरकार (अर्जुन मुंडा) द्वारा दोषियों पर कोई भी कार्यवाही नहीं की गयी. इसे भी पढ़ें- आज">https://lagatar.in/today-bajrang-dals-demonstration-in-karnataka-tejashwi-surya-met-the-relatives-of-the-deceased-curfew-till-6-am-on-friday/">आज

बजरंग दल का कर्नाटक में प्रदर्शन, तेजस्वी सूर्या मृतक के परिजनों से मिले,  शुक्रवार सुबह 6 बजे तक कर्फ्यू  

1st JPSC 

प्रथम सिविल सेवा परीक्षा की निगरानी जांच में पाया गया कि राज्य प्रशासनिक सेवा की सभी 64 सीटें बेच दी गयी थी. 13 वैसे लोग अफसर बना दिए गए, जिनकी उत्तर पुस्तिका की जांच की ही नहीं गयी थी. 3 ऐसे लोग थे, जिनकी उत्तर पुस्तिका में प्राप्तांक तो हैं, लेकिन उस पर परीक्षक का हस्ताक्षर नहीं है. 21 अफसरों के प्राप्तांको में बड़े पैमाने पर हेराफेरी की गयी है. इन सभी उत्तर पुस्तिकाओं की जांच गुजरात के F.S.L. से करायी गयी है.

17 सफल उम्मीदवारों की उत्तर पुस्तिका देखी ही नहीं गयी थी

प्रथम सिविल सेवा परीक्षा की सीबीआई जांच में भी यह बात सामने आयी की मुख्य परीक्षा में बैठनेवाले 17 सफल उम्मीदवारों की उत्तर पुस्तिका देखी ही नहीं गयी थी. सीबीआई को यह भी पता चला है कि रोल नंबर 91700341 द्वारा जेपीएससी में आवेदन नहीं दिया गया था और इसके बावजूद उसे परीक्षा में बैठा कर सफल घोषित कर दिया गया.

2nd JPSC

द्वितीय सिविल सेवा परीक्षा की निगरानी जांच के 200 पन्नों की रिपोर्ट में 172 (चयनित) में से 165 लोगों की नियुक्ति पर गंभीर आरोप लगाये गए और इन सबों के बर्खास्त करने की अनुशंसा की गयी. द्वितीय सिविल सेवा परीक्षा की सीबीआई जांच के क्रम में यह पाया गया कि कई सफल अभ्यर्थी सिविल सेवा की प्रारंभिक परीक्षा में ही फेल थे, जबकि वे अंतिम रूप से चयनित हो गये. जांच के क्रम में यह भी पाया गया कि सफल अभ्यर्थियों के अंकों के साथ उत्तरपुस्तिका में छेड़छाड़ की गयी है. इसी तरह कई अभ्यर्थी मुख्य परीक्षा में गाय पर निबंध लिख कर सफल हो गये. कई अभ्यर्थियों ने मुख्य परीक्षा में अप्रासंगिक बातें लिख कर पृष्ट भर डाले और ऐसे जवाबों पर उन्हें पूरे नंबर दिये गये. इसे भी पढ़ें- लोहरदगा-लातेहार">https://lagatar.in/only-four-big-naxalites-left-on-lohardaga-latehar-border/">लोहरदगा-लातेहार

सीमा पर बचे सिर्फ चार बड़े नक्सली

 3rd JPSC

तृतीय सिविल सेवा परीक्षा में भी घोर अनियमितता बरती गर्इ, जबकि अभी तक इस परीक्षा को किसी भी तरह की जांच के दायरे में नहीं लाया गया.
  1. झारखंड लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित तृतीय सिविल सेवा परीक्षा में व्यापक स्तर पर गडबडियां की गर्इ हैं, क्योंकि इसकी प्रारंभिक व मुख्य परीक्षा संबंधी प्रक्रिया तत्कालीन अध्यक्ष दिलीप प्रसाद के कार्यकाल में ही पूरी की गयी थी.
  2. इसकी प्रारंभिक परीक्षा में 242 सीटों के लिए 17,642 अभ्यार्थियों को मुख्य परीक्षा के लिए सफल घोषित किया गया जो कि झारखंड लोक सेवा आयोग की नियमावली में उल्लेखित मानक के विपरीत संख्या में यह परिणाम था.
  3. इसकी मुख्य परीक्षा में लगभग 550 वैसे अभ्यार्थियों को साक्षात्कार के लिए सफल घोषित किया गया, जिन्होंने कुछ खास विषयों को अपना वैकल्पिक विषय बनाया था.
  4. सूचना अधिकार अधिनियम-2005 के तहत लगभग हजारों अभ्यार्थियों ने तृतीय सिविल सेवा मुख्य परीक्षा की अपनी उतर पुस्तिकाओं का अवलोकन किया. अवलोकन के क्रम में यह बात सामने आयी हैं कि अनेक अभ्यार्थियों को उतर पुस्तिकाओं और अंक प्रमाण पत्र में जो अंक प्रदान किए गए वे अलग-अलग हैं. साथ ही कर्इ अभ्यर्थियों की उतर पुस्तिकाओं को पूरी तरह जांचा भी नहीं गया है.

4rh JPSC : 4th जेपीएससी की परीक्षा अपने स्केलिंग के कारण काफी विवादों में रही

  1. चतुर्थ सिविल सेवा प्रारम्भिक (PT.) परीक्षा में अधिकांश वैकल्पिक विषयों के प्रश्न संघ लोक सेवा आयोग की पूर्व परीक्षाओं से पूछे गए और आयोग के मॉडल उत्तर में भी कई खामियां प्रकाश में आयी. स्वयं आयोग के परीक्षा नियंत्रक ने प्रारंभिक (PT) परीक्षा को रद्द करने की अनुशंसा की, लेकिन इसे नज़रअंदाज कर परिणाम को प्रकाशित कर दिया गया. इस बात को लेकर कई अभ्यर्थी कोर्ट गए और मामला अभी भी विचाराधीन है.
2, चतुर्थ सिविल सेवा परीक्षा के विज्ञापन में बिना किसी सूचना के पीटी एवं मुख्य परीक्षा में स्केलिंग की व्यवस्था लागू कर दी गयी. आयोग द्वारा लागू की गयी स्केलिंग का फार्मूला भी काफी विवादित रहा जिसके कारण कई अभ्यर्थियों को कोर्ट की शरण लेनी पड़ी और आज भी मामला झारखंड हाई कोर्ट के डबल बेंच में विचाराधीन है.

5th JPSC:  5th जेपीएससी की परीक्षा भी विवादों में रही

  1. छठी जेपीएससी की तरह पांचवीं जेपीएससी PT. में भी आरक्षण लागू नहीं किया गया.
  2. 5th JPSC PT. परीक्षा में लगभग दस हज़ार अभ्यर्थियों का OMR Sheet Reject कर उन्हें प्रतियोगिता से बाहर कर दिया गया, जबकि अधिकांश अभ्यर्थी पीटी की परीक्षा में कट-ऑफ मार्क्स से अधिक अंक प्राप्त किये थे.
  3. आगे रिजेक्शन का फंडा मुख्य परीक्षा में भी लागू किया गया और 520 अभ्यर्थियों को एक छोटी सी चूक के लिए फांसी पर लटका दिया गया.
  4. 5th मुख्य परीक्षा में Anthropology, Sociology तथा कुछ Regional Subject में 400 में 300+ नंबर दिए गए. जबकि राजनीति विज्ञान, लोक प्रशासन, विधि तथा अन्य विषयों के अभ्यर्थियों को कम अंक दिए गए.
  5. 5th के इंटरव्यू में किसी-किसी अभ्यर्थियों को 170, 165, 160 मार्क्स और किसी-किसी अभ्यर्थी को 65 और 80 मार्क्स दिए गए. जबकि मुख्य परीक्षा में अधिक अंक लाने वाले अभ्यर्थियों को इंटरव्यू में 40% से कम नंबर देकर बाहर का रास्ता दिखला दिया गया.
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 6th JPSC : मुख्य परीक्षा के दौरान बरती गयी अनियमितता 

  1. जेपीएससी के पूर्व सचिव जगजीत सिंह 28 मार्च 2017 को आयोग में नियुक्त किये जाते हैं. लेकिन, वे 1 वर्ष 03 माह 16 दिन के बाद (दिनांक 13.07.18) जेपीएससी अध्यक्ष को पीत पत्र लिखते हैं कि मेरा पुत्र हरकीरत सिंह भी “संयुक्त असैनिक सेवा प्रतियोगिता परीक्षा” का अभ्यर्थी है. अतः मुझे उक्त परीक्षा के कार्यों से अलग रखा जाये. जबकि वे 15 व 17 जनवरी 2019 को दैनिक अखबारों में परीक्षा कराने व एडमिट कार्ड जारी करने संबंधी बयान जारी करते हैं. साथ ही, अपने पुत्र के अभ्यर्थी होने की बात को एक लंबे समय तक सरकार से छुपाये रखते हैं. आखिर किन कारणों से मुख्य परीक्षा के ठीक पांच दिन पहले जेपीएससी सचिव जगजीत सिंह का स्थानांतरण अन्यत्र कहीं और कर दिया जाता है.
  2. जेपीएससी में सहायक के पद पर कार्यरत लगभग 16 कर्मी ऐसे थे जिन्होंने छठी सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा पास की थी. लेकिन वे शुरू से लेकर अंत तक मुख्य परीक्षा के फॉर्म की स्क्रूटनी से लेकर अन्य सभी कार्यों को निपटा रहे थे और वे बाद में सभी मुख्य परीक्षा में शामिल भी हुए. क्या इससे मुख्य परीक्षा की गोपनीयता प्रभावित नहीं होती है. आखिर किन कारणों से मुख्य परीक्षा के बाद उन सभी का स्थानान्तरण अन्यत्र कहीं और कर दिया जाता है.
  3. मुख्य परीक्षा के लिए जारी प्रवेश पत्र में अनेकों अभ्यर्थियों के लैंग्वेज पेपर (द्वितीय पत्र) प्रारंभिक परीक्षा के समय आवेदन में भरे लैंग्वेज पेपर से भिन्न पाए गए. इस संबंध में जेपीएससी कार्यालय में शिकायत दर्ज करवाने के बाद भी मुख्य परीक्षा के प्रवेश पत्र में इसे सुधारा नहीं गया, जिसके कारण अभ्यर्थियों को दूसरी भाषा में मुख्य परीक्षा देना पड़ा या मुख्य परीक्षा छोड़ देना पड़ा.
  4. जेपीएससी मुख्य परीक्षा के फॉर्म का रिजेक्शन लिस्ट भी जारी नहीं करता है, जिसके कारण उन सभी अभ्यर्थियों को मुख्य परीक्षा में बैठने का अवसर दिया जाता है, जिन्होंने गलत शैक्षणिक व जाति प्रणाम पत्र जमा किया हो.
  5. मुख्य परीक्षा के दौरान विभिन्न परीक्षा केन्द्रों पर परीक्षकों द्वारा लगातार अपने मोबाइल फ़ोन का इस्तेमाल किया जा रहा था, जो सर्वथा अनुचित प्रतीत होता है.
  6. मुख्य परीक्षा के दौरान परीक्षकों द्वारा आधा घंटा पहले क्लास रूम में जो प्रश्न पत्र लाया जाता था, वे सील नहीं होते थे.
  7. मुख्य परीक्षा के आखिरी दिन (दि.- 01/02/19) पुरुलिया रोड स्थित संत अन्ना स्कूल केंद्र पर एक अभ्यर्थी को जनरल साइंस का जो प्रश्न पत्र दिया गया, उसके ऑब्जेक्टिव उत्तरों में पहले से ही पेंसिल से टिक मार्क लगा हुआ था. अभ्यर्थी ने उक्त बात की शिकायत परीक्षा केन्द्र पर उपस्थित मजिस्ट्रेट से की, जिसके बाद मजिस्ट्रेट ने उस अभ्यर्थी की सारी बातों व प्रश्न पत्र की रिकॉर्डिंग करायी. लेकिन परीक्षा समाप्ति के बाद मजिस्ट्रेट महोदय ने इस पर कोई कार्यवाही नहीं की.
  8. वर्ष 2016 में जेपीएससी के द्वारा मुख्य परीक्षा के लिए 6103 प्रश्न पत्र प्रिंट करवाए गए थे, जिसे बाद में ट्रेज़री से बाहर निकाल कर 34000 अभ्यर्थियों के लिए ज़ेरॉक्स या री-प्रिन्ट करवाया गया. जबकि नियमतः प्रश्नपत्र ट्रेज़री में रखे जाने के बाद उसका सील सीधे परीक्षा सेन्टर में खोला जाता है. विदित हो कि जेपीएससी ऑफिस में प्रश्न पत्र उस समय खोला गया जब मुख्य परीक्षा देने वाले 15 से अधिक सहायक जेपीएससी कार्यालय में कार्यरत थे.

अंतिम रिजल्ट प्रकाशन में की गयी गलतियां 

  1. जेपीएससी ने संयुक्त असैनिक सेवा प्रतियोगिता (मुख्य) परीक्षा 2016, (छठी जेपीएससी) के क्वालिफाइंग पेपर (हिंदी व अंग्रेजी) के मार्क्स को जोड़कर मुख्य परीक्षा का रिजल्ट जारी कर दिया है, जबकि 100 अंकों वाली हिंदी व अंग्रेजी की परीक्षा में अभ्यर्थियों को केवल 30 मार्क्स लाना अनिवार्य था. इसका प्राप्तांक मेरिट लिस्ट में नहीं जोड़ा जाता है.
  2. जेपीएससी ने अपने विज्ञापन में इस बात का भी उल्लेख किया था कि मुख्य परीक्षा के अनिवार्य सभी विषयों में अनारक्षित वर्ग को 40 प्रतिशत न्यूनतम अर्हतांक प्राप्त करना होगा. लेकिन रिजल्ट जारी करते समय उसने कई विषयों में न्यूनतम अर्हतांक प्राप्त न करने वाले अभ्यर्थियों को भी मुख्य परीक्षा में पास घोषित कर दिया है.
  3. मामला कोर्ट में गया. सिंगल बेंच ने पूरे मेरिट लिस्ट को रद्द कर जेपीएससी के अफसरों पर कार्यवाही को कहा. पुनः सफल अभ्यर्थी मामले को डबल बेंच ले गए, फैसला सुरक्षित रखा गया था और डबल बैंच ने पुन: मेरिट लिस्ट को रद्द कर दिया.

7th to 10th jpsc

विज्ञापन की कंडिका-10(2) – iv एवं v में स्पष्ट कहा गया है कि- प्रारंभिक परीक्षा का रिजल्ट कुल रिक्तियों का लगभग 15 गुणा प्रकाशित किया जाएगा, यदि प्रकाशित रिजल्ट में आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी पर्याप्त संख्या ( Adequate Numbers) में शामिल नहीं हो पाते हैं तो उनका कटऑफ तब तक नीचे किया जाएगा, जब तक आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी पर्याप्त संख्या में शामिल न हो जाए. लेकिन आयोग ने प्रारंभिक परीक्षा के रिजल्ट का प्रकाशन कुल रिक्तियों का 15 गुणा (irrespective of category) न कर कोटिवार रिक्तियों का 15 गुणा कर दिया है.
  1. जेपीएससी के सचिव ने दिनांक- 11.12.2021 को आयोग की वेबसाइट पर एक नोटिस जारी कर 41 सीरियली तथा 8 अन्य परीक्षा केन्द्रों से पास (Pass) अभ्यर्थियों की अभ्यर्थिता यह कह कर रद्द कर दी कि आयोग के पास उनका ओएमआर शीट उपलब्ध नहीं है, जबकि पूर्व में आयोग सीरियली रोल नंबर पाए जाने को संयोग बता रहा था. नोटिस में यह भी कहा गया है कि ससमय 49 अभ्यर्थियों के ओएमआर शीट उपलब्ध न होने के कारण उन्हें कटऑफ मार्क्स के बराबर नंबर देकर औपबंधिक रूप से पास किया गया था, इनके हटने से कटऑफ नंबर में कोई बदलाव नही होगा. प्रश्न है, जब प्रतियोगी परीक्षाओं में एक-एक नंबरो के अन्तर पर हज़ारो अभ्यर्थी रिजल्ट में अंदर और बाहर होते है, वहाँ कटऑफ कैसे प्रभावित नहीं होगा. साथ ही, उन अभ्यर्थियों का क्या जो इन 49 अभ्यर्थियों के कारण प्रारंभिक परीक्षा पास नहीं कर पाए.
  2. ऐसी सूचना है कि आयोग कार्यालय से केवल 57 अभ्यर्थियों के omr sheet गायब नहीं है, बल्कि इनकी संख्या सैकड़ो में है, इसलिए जेपीएससी अपनी वेबसाईट पर सभी अभ्यथियों का omr sheet अपलोड नहीं कर रहा है. मीडिया रिपोर्टों में यह बात भी सामने आयी है कि कई परीक्षा केन्द्रों पर cctv कैमरे नहीं लगे हुए थे तथा कई केन्द्रों पर अभ्यर्थियों की वीडियो फोटोग्राफी भी नहीं करवायी गयी, जबकि नियमानुसार ऐसा करना आयोग के लिए बाध्यकारी है.
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4.The Jharkhand Combined Civil Services Examination Rules, 2021 का कंडिका-30 स्पष्ट कहता है कि- प्रारंभिक परीक्षा की समाप्ति के बाद सभी अभ्यर्थियों का omr sheet आयोग की वेबसाईट पर अपलोड कर दिया जाएगा, लेकिन अभी तक जेपीएससी ने न तो omr sheet अपलोड किया है और न ही किसी भी अभ्यर्थी का मार्क्सशीट और रिजेक्शन लिस्ट जारी किया है. सूचना है कि जेपीएससी ने कई अभ्यर्थियों का omr sheet जांचा ही नहीं है, इसलिए वह अपने वेबसाईट पर ओएमआर शीट अपलोड नहीं कर रहा है.
  1. आदिम जनजाति कोटे का एक अभ्यर्थी जिसका रोल नंबर- 52039090 है उसे 226 अंक प्राप्त हुए है और यह अभ्यर्थी प्रारंभिक परीक्षा के रिजल्ट में फेल (Fail) है. जबकि आदिम जनजाति कोटे का कटऑफ मार्क्स आयोग के अनुसार 220 अंक गया है.
  2. सामान्य वर्ग का एक अभ्यर्थी जिसका रोल नंबर- 52095830 है उसे 266 अंक प्राप्त हुए हैं और यह अभ्यर्थी प्रारंभिक परीक्षा के रिजल्ट में फेल (Fail) है. जबकि सामान्य वर्ग का कटऑफ मार्क्स आयोग के अनुसार 260 अंक गया है.
  3. जेपीएससी प्रश्न पत्र लीक होने की सूचना को बिना जांच कराये केवल तर्कों के आधार पर खारिज कर रहा है, जबकि परीक्षा शुरू होने से कई घंटों पहले प्रश्न-उत्तर व्हाट्सएप्प पर वायरल हो चुके थे.
  4. जेपीएससी विशेषज्ञ समिति की जांच के बाद, अभी भी 4-5 प्रश्नों के मॉडल उत्तर गलत है. विदित हो कि विशेषज्ञों द्वारा जांच के बाद भी प्रसिद्ध स्थल डोम्बारी बुरु को बिरसा उलगुलान की जगह किसी अन्य विद्रोह से सम्बंधित कर दिया गया था, लेकिन मीडिया में प्रचारित होने के बाद आयोग ने इस प्रश्न के उत्तर को सही किया.

जेपीएससी में BINSYS का चयन टेंडर के माध्यम से नहीं किया गया

ऐसी सूचना है कि जेपीएससी के द्वारा परीक्षा से संबंधित विभिन्न कार्यों को पूर्ण करने हेतु मैसर्स विनसिस ( BINSYS) टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड को सर्विस प्रोवाइडर के रूप में नियुक्त किया गया है. वर्तमान में विनसिस के डायरेक्टर अरुण कुमार का संबंध एक अन्य सर्विस प्रोवाइडर कंपनी ICN प्राइवेट लिमिटेड से भी है, जिसके डायरेक्टर सुनील कुमार धवन हैं. ICN एवं सेंट्रल सिलेक्शन बोर्ड कांस्टेबल रिक्रूटमेंट, पटना, बिहार के बीच 2017-18 एवं 2018 -19 हेतु कांस्टेबल भर्ती के परीक्षा से संबंधित कार्यों को पूर्ण करने हेतु इकरारनामा किया गया था. एग्रीमेंट ICN की ओर से अरुण कुमार (Director BINSYS) ने किया था. लेकिन परीक्षा से संबंधित विभिन्न कार्यों में लापरवाही, धोखाधड़ी एवं अन्य प्रकार के अनियमितताएं बरते जाने के कारण सुनील कुमार धवन के खिलाफ पटना के शास्त्री नगर थाने में आईपीसी की धारा 409 एवं 420 के मामले में एफआईआर(733/2019) दर्ज कराया गया था. विदित हो कि ICN के डायरेक्टर सुनील कुमार धवन पूर्व में विनसिस के डायरेक्टर भी रह चुके हैं. दूसरी प्रमुख बात यह है कि जेपीएससी में BINSYS का चयन टेंडर के माध्यम से नहीं किया गया है. इसे भी पढ़ें- गुजरात">https://lagatar.in/six-thousand-crore-coal-scam-in-gujarat-6-million-tonnes-of-coal-disappeared-midway-sold-in-other-states/">गुजरात

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7th JPSC के संशोधित रिजल्ट

झारखंड लोक सेवा आयोग ने हाइकोर्ट में दिये शपथ पत्र के मुताबिक 7th-10थ संयुक्त सिविल सेवा परीक्षा का संशोधित रिजल्ट प्रकाशित कर दिया है. रिजल्ट कुल 13 पन्ने में जारी किया गया है. इस बार जो रिजल्ट प्रकाशित किया गया है, उसमें केवल उम्मीदवारों का रोल नंबर दिया हुआ है. पिछली बार जारी रिजल्ट में कैटेगरी के अनुसार रिजल्ट प्रकाशित किया गया था. जिसे अब संशोधित कर दिया गया है.

रिजल्ट प्रकाशन के साथ कट ऑफ मार्क्स जारी किया है

इसके तहत अनारक्षित के लिए 248 अंक,  ओबीसी वन के लिए 248, बीसी दो के लिए 248, ईडब्ल्यूएस के लिए 246, एससी के लिए 242 और एसटी उम्मीदवारों के लिए 232 अंक निर्धारित किये गये हैं.  संशोधित रिजल्ट प्रकाशन में बताया गया है कि  अनारक्षित श्रेणी से 1552, अनुसूचित जाति कोटि के अंतर्गत 362, अनुसूचित जनजाति कोटे के अंतर्गत 1002, अत्यंत पिछड़ा वर्ग 1 कोटि के अंतर्गत 994, पिछड़ा वर्ग 2 कोटि के अंतर्गत 681 तथा आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के अंतर्गत 294 उम्मीदवार पास हुए हैं. इस तरह से कुल 4885 उम्मीदवार हैं जो मुख्य परीक्षा में शामिल होंगे. नोट :- प्रथम रिजल्ट से कुल 406 अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और ईडब्ल्यूएस के अभ्यर्थियों को फेल कर दिया है. फेल अभ्यर्थी फिर से कोर्ट का दरवाजा खटखटा रहे हैं. इसे भी पढ़ें- रांची">https://lagatar.in/anger-among-lawyers-due-to-assault-general-secretary-said-lawyers-are-not-safe-even-in-court/">रांची

: मारपीट से वकीलों में आक्रोश, महासचिव ने कहा- वकील कोर्ट में भी सुरक्षित नहीं
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