Khunti: भगवान बिरसा मुंडा की जन्मस्थली उलिहातु में आज आठ दिवसीय जस्ट ट्रांजिशन यात्रा का समापन हुआ. गांव पहुंचते ही ग्रामीणों ने यात्रियों का स्वागत पारंपरिक पाइक नृत्य से किया. इसके बाद सभी यात्रियों ने ग्रामीणों के साथ बिरसा मुंडा के पैतृक घर में पारंपरिक पूजा-अर्चना की और उनकी मूर्ति पर माल्यार्पण किया.
समापन समारोह में सारथी नेटवर्क से जुड़ी कई साझेदार संस्थाओं के प्रतिनिधि शामिल हुए. इस अवसर पर भगवान बिरसा मुंडा के पोते सुखराम मुंडा, उनकी पत्नी लखमनी मुंडा और भतीजे को मोमेंटो देकर सम्मानित किया गया.

फिया फाउंडेशन के कार्यकारी निदेशक जॉनसन टोपनो ने कहा कि जस्ट ट्रांजिशन यात्रा झारखंड में जलवायु परिवर्तन से हो रहे सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय बदलावों को समझने और समुदाय से संवाद करने का एक प्रयास है. उन्होंने कहा इस यात्रा का उद्देश्य ऊर्जा, कृषि, रोजगार, लैंगिक समानता और सामुदायिक बदलावों पर बातचीत कर न्यायपूर्ण बदलाव में सबकी सहभागिता सुनिश्चित करना है.
ग्राम प्रधान नेल्सन मुंडा ने अपने संबोधन में कहा कि जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण का असर ग्रामीण जीवन और खेती-बाड़ी दोनों पर पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि जलवायु संकट से निपटने में ग्राम सभाओं का सशक्त होना बेहद जरूरी है.
सहयोगिनी संस्था से जुड़े गौतम सागर ने कहा कि यह यात्रा झारखंड में एक नई शुरुआत है. “अबुआ भागीदारी – अबुआ भविष्य” का अर्थ अब जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में भी समझने की जरूरत है, ताकि विकास के दौरान कोई पीछे न रह जाए.
जस्ट ट्रांजिशन यात्रा के संयोजक गुलाब चंद्र प्रजापति ने बताया कि यह यात्रा 5 नवंबर को सिद्धो-कान्हू की भूमि भोगनाडीह से शुरू हुई थी. यात्रा ने साहिबगंज, दुमका, जामताड़ा, गिरिडीह, धनबाद, बोकारो, रामगढ़, हजारीबाग, पाकुड़, मेदनीनगर, लातेहार, लोहरदगा, रांची होते हुए खूंटी जिले के उलिहातु में अपना समापन किया.
समारोह का समापन स्थानीय गीतों और पारंपरिक नृत्य के बीच हुआ, जिसमें ग्रामीणों और यात्रियों ने मिलकर न्यायपूर्ण बदलाव के इस संदेश को आगे बढ़ाने का संकल्प लिया.
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