Lagatar Desk : सुप्रीम कोर्ट के कोलेजियम में जस्टिस नागरत्ना ने पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस विपुल मनुभाई पंचोली के प्रमोशन पर आपत्ति जतायी है. उनकी आपत्ति है कि जस्टिस पंचोली को सुप्रीम कोर्ट में जज बनाने से क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व प्रभावित होगी. इसके साथ ही उन्होंने वरिष्ठता के मुद्दे पर भी सवाल उठाया है.
उल्लेखनीय है कि देश को दो हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को प्रमोशन देते हुए सुप्रीम कोर्ट का जज बनाने के लिए सुप्रीम कोर्ट की कोलेजियम ने अनुशंसा की है. सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की कोलेजियम ने जिन्हें प्रमोशन देने की अनुशंसा की है, उनमें पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस विपुल मनुभाई पंचोली के अलावा बॉम्बे हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस आलोक अराधे का नाम शामिल है.
इस बीच मंगलवार को कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में यह बताया गया है कि 25 अगस्त को हुई कोलेजियम की बैठक में जस्टिस नागरत्ना ने असहमति जतायी है. उन्होंने जस्टिस पंचोली को सुप्रीम कोर्ट का जज बनाने पर आपत्ति जतायी है. इसकी एक बड़ी वजह है कि जस्टिस पंचोली अभी हाईकोर्ट के सभी जजों की वरियता रैंक में 57वें नंबर पर हैं.
रिपोर्ट्स के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट का जज बनाने से पहले देश स्तर पर सिनियरिटी को देखा जाना चाहिए. जस्टिस नागरत्ना की दूसरी आपत्ति क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व को लेकर है. उनकी आपत्ति यह है कि जस्टिस पंचोली पहले गुजरात हाईकोर्ट में थे. तीन महीने पहले ही गुजरात हाईकोर्ट के जस्टिस एनवी अंजारिया का सुप्रीम कोर्ट में प्रमोशन हुआ है.
ऐसी स्थिति में जस्टिस पंचोली को प्रमोशन देने की स्थिति में गुजरात हाईकोर्ट का प्रतिनिधित्व सुप्रीम कोर्ट में ज्यादा हो जायेगा. इससे पहले गुजरात हाईकोर्ट के जज जस्टिस जेबी पारदीवाल और जस्टिस एनवी अंजारिया को सुप्रीम कोर्ट के लिए प्रोन्नति दी गई थी.
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