Bengaluru : कर्नाटक हाई कोर्ट के आदेश से सिद्धारमैया सरकार बैकफुट पर आ गयी है. हाई कोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा जारी एक आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी है. दरअसल सरकार ने आदेश जारी कर कहा था कि निजी संगठनों को सरकारी परिसरों में कार्यक्रम आयोजित करने के लिए पूर्व अनुमति लेना अनिवार्य होगा.
जानकारों का कहना है कि यह आदेश कथित तौर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS)को निशाना बनाने के लिए जारी किया गया था. कोर्ट के फैसले से सिद्धारमैया (कांग्रेस) सरकार को झटका लगा है. हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि सरकार संविधान के अनुच्छेद 19(1)(A) (अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता) और 19(1)(B) (शांतिपूर्ण सभा की स्वतंत्रता) के तहत दिए गए अधिकारों को सीमित नहीं कर सकती.
कर्नाटक सरकार के इस आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में पुनश्चैतन्य सेवा संस्था द्वारा याचिका दायर की गयी थी. आज मंगलवार को कोर्ट ने मामले पर सुनवाई की और आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी है. जस्टिस नागप्रसन्ना की सिंगल-जज बेंच ने सरकार के आदेश पर अंतरिम रोक लगाई है. इस मामले की सुनवाई अब 17 नवंबर को होगी.
याचिका दायर करनेवाली पुनश्चैतन्य सेवा संस्था ने कोर्ट में दलील दी कि सरकार का य़ह आदेश निजी संगठनों की वैध गतिविधियों को संचालित करने के अधिकारों का उल्लंघन करनेवाला है. कोर्ट ने आदेश को लेकर सरकार को नोटिस जारी जवाब तलब किया है.
हालांकि कर्नाटक के संसदीय कार्य मंत्री एचके पाटिल ने इस आरोप को खारिज किया है कि सरकार का यह कदम किसी विशेष संगठन के खिलाफ है. बता दें कि सिद्धारमैया आरएसएस पर निशाना साधते हुए कहा था कि आरएसएस की मानसिकता तालिबान जैसी है.
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