Dhanbad : केंदुआडीह क्षेत्र में जानलेवा कार्बन मोनोऑक्साइड गैस के खतरनाक रिसाव ने गंभीर संकट पैदा कर दिया है. स्थिति का आकलन करने के लिए कोल इंडिया के अध्यक्ष सनोज कुमार झा ने बुधवार को केंदुआडीह का दौरा और गहन निरीक्षण किया.
इस उच्च-स्तरीय निरीक्षण दल में कोल इंडिया लिमिटेड के तकनीकी निदेशक अच्युत घटक, बीसीसीएल के सीएमडी मनोज कुमार अग्रवाल, पुटकी सीओ और केंदुआडीह थानेदार भी शामिल थे.
अध्यक्ष ने माना- हालात बेहद गंभीर, तत्काल अस्थायी स्थानांतरण जरूरी
निरीक्षण के बाद कोल इंडिया अध्यक्ष सनोज कुमार झा ने हालात को अत्यंत गंभीर करार दिया. उन्होंने मीडिया से बात करते हुए स्पष्ट किया कि तकनीकी जांच और अधिकारियों से विस्तृत चर्चा के बाद यह साफ हो गया है कि मौजूदा स्थिति में अपने आप सुधार होने की संभावना नहीं है.
उन्होंने कहा कि फिलहाल सबसे बड़ा और जरूरी कदम यह है कि प्रभावित लोगों को अस्थायी रूप से सुरक्षित स्थान पर स्थानांतरित किया जाए ताकि उनकी जान बचाई जा सके.
उन्होंने यह भी कहा कि केंदुआडीह के विभिन्न क्षेत्रों में कार्बन मोनोऑक्साइड गैस की मात्रा बेहद अधिक पाई गई है जो सीधे तौर पर जानलेवा है. आज की प्राथमिकता केवल और केवल लोगों की सुरक्षा है.
उन्होंने जोर देकर कहा कि यह कदम स्थायी विस्थापन नहीं है बल्कि मौजूदा जानलेवा खतरे से निपटने का एकमात्र उपाय है. अध्यक्ष ने बताया कि प्रभावित परिवारों से व्यक्तिगत रूप से बात की गई है और बीसीसीएल (BCCL) द्वारा खाने रहने और चिकित्सा की पूरी व्यवस्था की जा रही है.
अस्थायी राहत केंद्रों में सभी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं. उन्होंने यह भी बताया कि गैस निकासी और तकनीकी समाधान के प्रयास जारी हैं लेकिन इसमें समय लग सकता है.
तकनीकी निदेशक की चेतावनी- स्थिति और बिगड़ सकती है
कोल इंडिया लिमिटेड के तकनीकी निदेशक अच्युत घटक ने गैस संकट को बेहद गंभीर बताया. उन्होंने आशंका व्यक्त की कि आने वाले समय में समस्या और भी बढ़ सकती है.
समस्या के समाधान में 10 दिन, 15 दिन या डेढ़ महीना- कितना समय लगेगा यह कहना मुश्किल है. स्थानीय लोगों से अपील हैं कि वे स्थिति की गंभीरता को समझें और स्वेच्छा से सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट हों क्योंकि आगे चलकर समस्या और बढ़ सकती है.
उच्चस्तरीय तकनीकी जांच और समाधान योजना पर काम जारी- बीसीसीएल सीएमडी
बीसीसीएल के सीएमडी मनोज कुमार अग्रवाल ने बताया कि पूरे मामले की गहन तकनीकी जांच जारी है. देश की नामी और विशेषज्ञ एजेंसियां इस कार्य में लगी हैं. निदेशक (तकनीकी) स्वयं मौके पर मौजूद हैं और अल्पकालीन एवं दीर्घकालीन दोनों स्तरों पर समाधान की योजना तैयार की जा रही है.
उन्होंने भी दोहराया कि इस समय लोगों की जान बचाना ही सर्वोच्च प्राथमिकता है. सीएमडी ने आश्वस्त किया कि विस्थापन से जुड़े आक्रोश या स्थायी पुनर्वास जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर बाद में अलग से चर्चा की जाएगी.
अधिकारियों ने एक स्वर में कहा कि जांच में यह स्पष्ट हुआ है कि गैस की मात्रा जानलेवा स्तर पर पहुंच चुकी है इसलिए किसी भी तरह की लापरवाही भारी पड़ सकती है.
शिफ्टिंग नहीं, गैस रिसाव रोकिए- ग्रामीण
निरीक्षण के दौरान स्थानीय लोगों में भारी आक्रोश देखने को मिला. ग्रामीणों ने कोल इंडिया अध्यक्ष से गैस रिसाव रोकने की मांग की. उनका कहना था कि एक सप्ताह से अधिक समय बीत जाने के बावजूद अधिकारी केवल शिफ्टिंग (स्थानांतरण) पर जोर दे रहे हैं जबकि गैस रिसाव रोकने पर कोई ठोस काम नहीं हो रहा है.
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