Sukesh Kumar
Chaibasa: कोल्हान विश्वविद्यालय में प्रत्येक साल विद्यार्थियों से 100 रुपए खेल के नाम पर पैसा वसूला जाता है. लेकिन समय पर कोई भी खेल नहीं हो पा रहा है. कोल्हान विश्वविद्यालय के मुख्यालय में फुटबॉल प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता था. लेकिन इसे भी अब बंद कर अन्य कॉलेजों में करना शुरू कर दिया है. इंटर कॉलेज प्रतियोगिता नहीं हो पा रहा. प्रत्येक साल बस चुनिंदा खेल ही हो पा रहे हैं. बाकी खेल विश्वविद्यालय स्तर से नहीं कराया जा रहा है.
शुल्क के नाम पर हर साल 55-60 लाख रुपये की विद्यार्थियों से वसूली
विद्यार्थियों के विरोध के बावजूद भी अधिकारी इसे गंभीरता से नहीं ले रहे हैं. लगातार समय पर खेल कराने को लेकर मांग की जाती रही है लेकिन खेल नहीं हो पा रहे हैं. कॉलेज में खेल सामग्री भी उपलब्ध नहीं है. जबकि प्रत्येक साल 55 से 60 लाख रुपये की विद्यार्थियों से वसूली शुल्क के नाम पर की जा रही है. पीजी विभाग में भी स्थिति बद से बदतर हो गई है. यहां खेल का सामान नहीं होने के कारण विद्यार्थियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. मैदान तो है लेकिन खेल का सामान नहीं दिया जा रहा है.
स्पोर्ट्स इंचार्ज को अविलंब हटा दिया जाए : पीपुन बारीक
छात्र नेता पीपुन बारीक का आरोप है कि खेल को लेकर विश्वविद्यालय में मनमानी हो रही है. विद्यार्थियों से प्रत्येक साल पैसा लिया जा रहा है। लेकिन समय पर खेल नहीं कराया जा रहा है। लंबे समय से खेल प्रभारी एक ही पद पर तैनात है, जिसके कारण मनमानी पर उतर आए हैं. मांग है कि स्पोर्ट्स इंचार्ज को अविलंब हटा दिया जाए, उसकी मनमानी से विद्यार्थी परेशान हैं.
विद्यार्थियों से ली गई राश का उपयोग खेल पर नहीं हो रहा : मंजीत हंसदा
छात्र नेता मंजीत हंसदा का कहना है कि टाटा कॉलेज में इंटर कॉलेज फुटबॉल प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता था. विश्वविद्यालय के मुख्यालय है लेकिन बड़ी प्रतियोगिता यहां पर आयोजित नहीं किया जा रहा है. जिसके कारण काफी परेशानी होती है. विद्यार्थियों से लाखों रुपया की वसूली प्रत्येक साल विश्वविद्यालय और कॉलेज स्तर से की जा रही है. प्रत्येक विद्यार्थी 100 रुपये प्रत्येक साल जमा करते हैं. लेकिन इसका उपयोग खेल पर नहीं हो पा रहा है.
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