Ranchi: झारखंड की सियासी फिजां में भाषा विवाद उछल रहा है. दरअसल यह विवाद जेटेट परीक्षा को लेकर है. इस परीक्षा के लिए क्षेत्रीय भाषा को अनिवार्य कर दिया गया है. लेकिन विवाद इस बात पर हो रहा है कि पलामू प्रमंडल में नागपुरी और कुडूख को क्षेत्रीय भाषा के रूप में मान्यता दी है. जबकि वहां यह भाषा बोली और लिखी नहीं जाती है. इस कारण सरकार के फैसले का विरोध हो रहा है. इसका विरोध सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ने ही किया है.
वित्त मंत्री से सीएम को पत्र में क्या लिखा
वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर पलामू और गढ़वा में नागपुरी और कुड़ुख को अनिवार्य करने पर सवाल उठाए हैं. साथ ही जेटेट की पात्रता परीक्षा के लिए निर्धारित की गई भाषा में देवनागरी (हिंदी) का उल्लेख करने और भोजपुरी को शामिल करने की मांग की है. मंत्री ने कहा है कि पलामू और गढ़वा में कुडूख भाषा का प्रयोग बहुत ही कम किया जाता है, इसलिए इसे अनिवार्य करना संभव और विवेकपूर्ण नहीं है.
क्या है विवाद की जड़
- नागपुरी और कुड़ुख को क्षेत्रीय भाषा के रूप में मान्यता: सरकार ने पलामू प्रमंडल में नागपुरी और कुडूख को क्षेत्रीय भाषा के रूप में मान्यता दी है, जिसका विरोध हो रहा है.
- मगही और भोजपुरी की मांग: पलामू प्रमंडल में मगही और भोजपुरी बोली जाती है, और इन भाषाओं को क्षेत्रीय भाषा के रूप में शामिल करने की मांग की जा रही है.
क्या कहते हैं राजनीतिक दल
- भाजपा का विरोध: भाजपा के पूर्व विधायक भानु प्रताप शाही ने इस मामले को लेकर राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा है.
- जदयू का आरोप: जदयू ने सरकार पर भाषा तुष्टिकरण का आरोप लगाया है और कहा है कि पलामू डिवीजन में भोजपुरी और मगही को छोड़ा जाना दुर्भाग्यपूर्ण है.
- सत्तारूढ़ दलों की प्रतिक्रिया: सत्तारूढ़ दलों के नेताओं ने भी इस मुद्दे पर सवाल उठाए हैं और मंत्री राधा कृष्ण किशोर ने सीएम को पत्र लिखा है.