Ranchi: झारखंड में हुए शराब घोटाले के मामले में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) की कार्रवाई जारी है. सोमवार को एसीबी ने इस सिलसिले में जमशेदपुर के उपायुक्त (डीसी) कर्ण सत्यार्थी से लंबी पूछताछ की. गौरतलब है कि कर्ण सत्यार्थी पूर्व में राज्य के उत्पाद आयुक्त के पद पर भी पदस्थापित रह चुके हैं.
एसीबी ने पूछताछ के दौरान कर्ण सत्यार्थी से कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर गहन जानकारी ली. अधिकारियों का मुख्य ध्यान इस बात पर था कि उत्पाद आयुक्त के तौर पर उन्होंने प्लेसमेंट एजेंसियों के खिलाफ क्या कदम उठाए थे. उत्पाद आयुक्त रहते हुए उन्होंने फर्जीवाड़े में शामिल प्लेसमेंट एजेंसियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की? क्या उन्होंने एजेंसियों द्वारा दी गई बैंक गारंटी की जांच कराई थी? अगर जांच नहीं कराई गई, तो इसके पीछे की वजह क्या थी?
क्या है पूरा मामला
यह पूरा मामला राज्य में शराब की बिक्री से जुड़ा है, जिसमें दो एजेंसियों – मेसर्स विजन हॉस्पिटलिटी और मार्शन इनोवेटिव ने गंभीर अनियमितताएं बरती थीं. इन दोनों एजेंसियों ने विभाग को पांच-पांच करोड़ रुपये से अधिक की फर्जी बैंक गारंटी दी थी. मैनपावर सप्लाई करने वाली इन एजेंसियों ने शराब की बिक्री के बाद उपभोक्ताओं से जुटाई गई राशि को भी विभाग में जमा नहीं कराया था.
अन्य अधिकारियों पर भी कार्रवाई
यह पहला मौका नहीं है, जब इस घोटाले में किसी बड़े अधिकारी से पूछताछ की गई है. इस केस में उत्पाद विभाग के कई बड़े अधिकारी पहले ही जांच के दायरे में आ चुके हैं. उत्पाद विभाग के पूर्व सचिव विनय चौबे और अमित प्रकाश को इस मामले में गिरफ्तार किया गया था, जो वर्तमान में जमानत पर हैं. उत्पाद विभाग के दो अन्य पूर्व सचिवों मनोज कुमार व मुकेश कुमार के साथ-साथ पूर्व उत्पाद आयुक्त फैज अक अहमद से भी एसीबी पहले ही पूछताछ कर चुकी है.
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