Ranchi: रांची के सदर अस्पताल के न्यूरोलॉजिस्ट डॉ विकास कुमार ने आम लोगों में बढ़ती एक खतरनाक प्रवृत्ति को लेकर गंभीर चिंता जताई है. उन्होंने बताया कि आजकल जरा-सी गैस, एसिडिटी या सीने में जलन होते ही लोग बिना सोचे-समझे Pan-40 जैसी दवाएं खा लेते हैं और मान लेते हैं कि इससे कोई नुकसान नहीं होता. डॉक्टर के अनुसार, यही सोच कई बार शरीर को भीतर से धीरे-धीरे नुकसान पहुंचाने का कारण बन रही है.
डॉ कुमार ने बताया कि उनके ओपीडी में एक मरीज ऐसा आया जो पिछले 7–8 साल से रोजाना Pan-40 जैसी दवाओं का सेवन कर रहा था. शुरुआत में उसे थोड़ी-सी एसिडिटी होती थी, लेकिन दवा खाने से तुरंत राहत मिल जाती थी, इसलिए उसने इसे आदत बना लिया.
लगातार सेवन का नतीजा यह हुआ कि उसकी किडनी का फंक्शन गिर चुका है, हड्डियां कमजोर हो गई हैं और विटामिन-B12 का स्तर बेहद कम हो गया है. डॉक्टर ने बताया कि मरीज ने अफसोस जताते हुए कहा काश यह पहले पता होता.
डॉ कुमार के अनुसार, ऐसी दवाएं अस्थायी राहत देती हैं, पर लंबे समय तक रोजाना सेवन करने पर उनके दुष्प्रभाव गंभीर हो सकते हैं. इनमें किडनी को नुकसान, कैल्शियम और मैग्नीशियम की कमी, हड्डियों का कमजोर होना, विटामिन-B12 की भारी कमी और आंतों में संक्रमण का खतरा शामिल है. डॉक्टर ने कहा कि यह दवाएं तभी लेनी चाहिए जब डॉक्टर सलाह दें और वह भी सीमित समय के लिए.
उन्होंने कहा कि एसिडिटी की असली वजह दवाईयों की कमी नहीं, बल्कि गलत खान-पान, तनाव, अनियमित समय पर भोजन और निष्क्रिय जीवनशैली है. दवा हर समस्या का स्थायी इलाज नहीं होती. सही जीवनशैली ही सबसे बड़ी दवा है.
डॉ कुमार ने बताया कि यदि लोग कुछ साधारण आदतें अपनाएं तो अधिकांश मामलों में गैस व एसिडिटी अपने-आप नियंत्रित हो सकती है. उन्होंने कहा कि समय पर भोजन करना सबसे जरूरी है, क्योंकि लंबे समय तक खाली पेट रहने से पेट में एसिड बढ़ता है.
साथ ही भोजन को अच्छी तरह चबाकर धीरे-धीरे खाना चाहिए, क्योंकि जल्दी खाने से हवा पेट में जाती है और गैस बनती है. चाय-कॉफी और कोल्ड ड्रिंक का अधिक सेवन एसिडिटी को कई गुना बढ़ा देता है, इसलिए इन्हें सीमित करना चाहिए.
रात में भारी भोजन और खाने के तुरंत बाद सोना, दोनों ही एसिडिटी के मुख्य कारण हैं. डॉक्टर ने सलाह दी कि रात का खाना हल्का हो और सोने से 2-3 घंटे पहले खा लिया जाए. मसालेदार, तला-भुना और पैकेट-बंद खाना कम करने की भी हिदायत दी गई.
डॉ कुमार ने कहा कि प्रतिदिन कम-से-कम 30-40 मिनट टहलना या व्यायाम करना पाचन के लिए अत्यंत लाभकारी है. इससे शरीर सक्रिय रहता है, पाचन सुधरता है और स्वाभाविक रूप से गैस तथा एसिडिटी कम होने लगती है.
उन्होंने लोगों से अपील की कि छोटी-मोटी एसिडिटी पर तुरंत दवा लेने के बजाय जीवनशैली में छोटे बदलाव करें. यदि समस्या बार-बार होती है, तभी डॉक्टर से सलाह लेकर दवा लें. उन्होंने कहा कि शरीर संकेत देता है, लेकिन हम उसे अनदेखा करते हैं और सीधे दवा पर निर्भर हो जाते हैं. इसी आदत के कारण कई बार बड़ी बीमारियाँ जन्म ले लेती हैं.
डॉ कुमार का संदेश साफ है राहत के लिए दवा ठीक है, लेकिन आदत बन जाए तो नुकसान तय है. सही खान-पान और सही दिनचर्या ही पेट को स्वस्थ रख सकती है.
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