Lagatar Desk : वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही में देश की तेल विपणन कंपनियों (OMC) की एलपीजी अंडर-रिकवरी (रसोई गैस पर होने वाले घाटे) में भारी गिरावट दर्ज की गई है, जो तिमाही-दर-तिमाही लगभग 35 प्रतिशत कम हो गई. केयर एज रेटिंग्स की एक रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है.
रिपोर्ट के अनुसार, अप्रैल 2025 में सरकार ने 14.2 किलो घरेलू सिलेंडर की कीमत 50 रुपये बढ़ाई थी, जिसकी वजह से एलपीजी अंडर-रिकवरी में कमी आई है. इसके अलावा गैस की सोर्सिंग लागत में गिरावट भी इस कमी का मुख्य कारण है.
LPG losses of oil companies narrows 35% QoQ in Q1FY26: Report
— ANI Digital (@ani_digital) August 26, 2025
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घाटा कम हुआ, पर खत्म नहीं
केयर एज रेटिंग्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, रसोई गैस से होने वाला घाटा कम हुआ, लेकिन पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है. वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही में कंपनियों को करीब 7,940 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ, जो पिछली तिमाही (जनवरी-मार्च 2025) में 12,110 करोड़ रुपये था. यानी घाटा तो कम हुआ. लेकिन एलपीजी बेचने की लागत और उससे होने वाली कमाई के बीच फर्क अब भी बना हुआ है.
कुल अंडर-रिकवरी अभी भी बढ़ रही है
रिपोर्ट में बताया गया कि 30 जून 2025 तक ओएमसी की कुल एलपीजी अंडर-रिकवरी 49,210 करोड़ रुपये पहुंच गई, जो 31 मार्च 2025 तक 41,270 करोड़ रुपये थी. इसका मतलब है कि हर तिमाही में थोड़ा घाटा जरूर कम हो रहा है, लेकिन कुल नुकसान लगातार बढ़ता जा रहा है.
सरकार से राहत का ऐलान
इस वित्तीय दबाव को कम करने के लिए केंद्र सरकार ने हाल ही में 30,000 करोड़ रुपये के राहत पैकेज को मंजूरी दी है, जिसे ओएमसी को 12 किश्तों में दिया जाएगा. साथ ही अप्रैल 2025 में सरकार ने ईंधन पर 2 रुपये प्रति लीटर का अतिरिक्त टैक्स भी लगाया, जिससे कुछ हिस्सा इस नुकसान की भरपाई के लिए जाएगा.
आने वाले समय में स्थिति हो सकती है बेहतर
रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकारी मदद और नीतिगत फैसलों की वजह से तेल कंपनियों को थोड़ी राहत मिली है. आने वाले महीनों में एलपीजी अंडर-रिकवरी घट सकती है, जिससे कंपनियों की लाभप्रदता (profitability) और उपभोक्ताओं के लिए ईंधन की स्थिर आपूर्ति बनाए रखने में मदद मिलेगी.
रिपोर्ट में उम्मीद जताई गई है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गैस की कीमतों में स्थिरता, घरेलू ईंधन कीमतों का नियंत्रण और सरकार की तरफ से मुआवजा मिलने से आने वाले समय में कंपनियों की स्थिति सुधर सकती है. हालांकि एलपीजी से नुकसान अभी जारी है. लेकिन पेट्रोल और डीजल की बिक्री से मिल रहे अच्छे मुनाफे ने कंपनियों को कुछ राहत दी है.
क्या है एलपीजी अंडर-रिकवरी
एलपीजी अंडर-रिकवरी उस स्थिति को कहते हैं, जब तेल कंपनियों (जैसे IOC, BPCL, HPCL) को रसोई गैस (LPG) बेचने पर घाटा होता है. यह घाटा तब होता है जब गैस को खरीदने या आयात करने की लागत ज्यादा होती है. लेकिन सरकार द्वारा तय खुदरा कीमत कम रखी जाती है, ताकि आम लोगों को गैस सस्ती मिले. इस वजह से कंपनियों को हर सिलेंडर पर नुकसान उठाना पड़ता है, जिसे अंडर-रिकवरी कहा जाता है.
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