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छठ महापर्व में आम की लकड़ी का है विशेष महत्व, जानें इसके पीछे का धार्मिक व वैज्ञानिक दृष्टिकोण

  • धनबाद : छठ पर्व में आम की लकड़ी की बढ़ी मांग
  • शुद्धता और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक

Dhanbad :  लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा शनिवार को नहाय-खाय के साथ शुरू हो रहा है. कोयलांचल में भी इस चार दिवसीय पर्व को लेकर काफी उत्साह और भक्ति का माहौल है. घाटों की साफ-सफाई, प्रसाद की तैयारी और पूजा सामग्री की खरीदारी अंतिम चरण में है.

 

छठ महापर्व में आम की लकड़ी का विशेष महत्व होता है. इसके बिना कोई भी अनुष्ठान अधूरा माना जाता है.​ छठ व्रत के पहले दिन नहाय-खाय से लेकर संध्या अर्घ्य और प्रातः अर्घ्य तक हर विधि-विधान में आम की लकड़ी का प्रयोग होता है. व्रती इसी पवित्र लकड़ी से पारंपरिक प्रसाद जैसे कद्दू-भात , खरना का प्रसाद और ठेकुआ तैयार करते हैं.

 

आम लकड़ी की मांग बढ़ी, 25-30 रु. प्रति किलो बिक्री

धनबाद के स्थानीय विक्रेता बिनोद साव और राकेश साव ने बताया कि छठ पर्व के कारण आम की लकड़ी की मांग काफी बढ़ गई है. शहर के अलग-अलग इलाकों में सूखी टहनियों को काटकर लाया जा रहा है, जो वर्तमान में 25 से 30 रुपये प्रति किलो के भाव पर बिक रहा है. विक्रेताओं का कहना है कि लोग शुद्धता को देखते हुए केवल आम की लकड़ी का ही उपयोग करना पसंद करते हैं.

 

धार्मिक और शास्त्रीय महत्व

पंडित सुधीर कुमार पाठक ने बताया कि ​सनातन धर्म में आम की लकड़ी को अत्यंत शुद्ध और पवित्र माना गया है. हवन, यज्ञ और अन्य पूजन विधियों में केवल आम की लकड़ी का ही उपयोग किया जाता है.

 

उन्होंने कहा कि आम की लकड़ी से अग्नि प्रज्वलित करने से वातावरण शुद्ध होता है और पूजा में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. यही कारण है कि छठ पूजा में भी शुद्धता के प्रतीक के रूप में इसका प्रयोग अनिवार्य है.

 

उन्होंने यह भी कहा ​कि छठ महापर्व केवल आस्था का पर्व नहीं, बल्कि यह परंपरा, निष्ठा और विज्ञान का एक सुंदर संगम है. इस महापर्व में उपयोग की जाने वाली प्रत्येक सामग्री का अपना धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व है और इनमें आम की लकड़ी भी एक प्रमुख स्थान रखती है.

 

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