New Delhi : रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने आज मोदी कैबिनेट के फैसलों की जानकारी दी. बताया कि रेलवे से संबंधित दो बड़े फैसले लिये गये हैं. प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में आज बुधवार को आर्थिक मामलों की कैबिनेट बैठक हुई.
#WATCH | Delhi | Union Railway Minister Ashwini Vaishnaw says, "During PM Modi's historic third term, many projects have been undertaken to reduce transportation and logistics costs. IIM Bangalore and IIM Calcutta's recent study shows that the investments in transportation have… pic.twitter.com/fjDuVU5EKb
— ANI (@ANI) June 11, 2025
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#WATCH | Delhi | On Indian Railways' Koderma - Barkakana multitracking project in Jharkhand, Union Railway Minister Ashwini Vaishnaw says, "According to experts' calculations, the carbon dioxide sequestered by this project will be equivalent to planting seven crore trees. It will… pic.twitter.com/ZgRJLdkZ4m
— ANI (@ANI) June 11, 2025
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अनिल वैष्णव ने बताया कि बैठक में झारखंड, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश को कवर करने वाले दो मल्टीट्रैकिंग प्रोजेक्ट पर मुहर लगाई गयी. इन प्रोजेक्ट में 133 KM वाले कोडरमा-बरकाकाना और 185 KM वाले बल्लारी-चिकजाजुर का डुअल लाइन करना शामिल है, इनकी लागत 6405 करोड़ रुपये है.
अश्विनी वैष्णव ने कहा कि रेलवे से संबंधित दोनों ही परियोजनाएं कनेक्टिविटी में सुधार और अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण हैं, जिससे आदिवासी समुदायों और आम जनता दोनों को लाभ होगा.
कोडरमा-बरकाकाना (अरिगाडा) दोहरीकरण परियोजना की लागत 3,063 करोड़ रुपये है. यह 133 किलोमीटर लंबी दूरी की परियोजना है. यह पटना और रांची के बीच सबसे छोटी लाइन है. यह कोडरमा, चतरा, हजारीबाग और रामगढ़ जिलों को अच्छी कनेक्टिविटी प्रदान करेगी.
अश्विनी वैष्णव ने कहा कि इससे 938 गांवों और 15 लाख की आबादी को लाभ होगा... यह 30.4 मिलियन टन अतिरिक्त माल ले जा सकती है, जो सड़क मार्ग से माल भेजने के विपरीत पर्यावरणीय लाभ प्रदान करेगी.
रेल मंत्री ने कहा कि पीएम मोदी के ऐतिहासिक तीसरे कार्यकाल के दौरान, परिवहन और रसद लागत को कम करने के लिए कई परियोजनाएं शुरू की गयी हैं. आईआईएम बैंगलोर और आईआईएम कलकत्ता के हालिया अध्ययन से पता चलता है कि परिवहन में निवेश से देश की रसद लागत में लगभग 4% की कमी आयी है.
रेल मंत्री ने कहा कि रसद लागत में हर प्रतिशत की कमी का मतलब है कि बहुत अधिक प्रतिस्पर्धी उद्योग होंगे. हम अधिक निर्यात कर सकते हैं. हम उत्पादन लागत कम रख सकते हैं. पिछले 1 साल में परिवहन परियोजनाओं के लिए लगभग 4.5 लाख करोड़ रुपये के निवेश को मंजूरी दी गयी है. यह हमारे विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने में हमारी बड़ी भूमिका निभायेगा.