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सुप्रीम कोर्ट के सम्मेलन में बोले पीएम मोदी,कानून की भाषा ऐसी हो, जो न्याय चाहने वालों को समझ में आये

New Delhi :  दिल्ली में आज शनिवार को सुप्रीम कोर्ट में strengthening legal aid delivery mechanisms (कानूनी सहायता वितरण तंत्र) को मजबूत करने को लेकर राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया. पीएम मोदी ने इसका उद्घाटन किया . साथ ही 20वें राष्ट्रीय सम्मेलन के आयोजन के लिए बधाई दी. 

 

 

  

 
उन्होंने कहा, कानून की भाषा ऐसी होनी चाहिए जो न्याय चाहने वालों को समझ में आये. यह भी महत्वपूर्ण है कि निर्णय और कानूनी दस्तावेज स्थानीय भाषाओं में उपलब्ध कराये जायें. पीएम ने कहा, जब न्याय सभी के लिए सुलभ होता है और समय पर दिया जाता है, जब यह उनकी सामाजिक और वित्तीय पृष्ठभूमि की परवाह किए बिना सभी तक पहुंचता है, तभी यह सामाजिक न्याय की नींव बन जाता है.  न्याय सभी के लिए सुलभ होना चाहिए. 

 


पीएम ने कहा कि प्रौद्योगिकी वास्तव में एक विघटनकारी शक्ति है.  हालांकि जब हम इसे जन-समर्थक फोकस के साथ जोड़ते हैं, तो वही तकनीक लोकतंत्र की ताकत बन जाती है.  हमने देखा है कि कैसे यूपीआई के कारण सबसे छोटे विक्रेता भी डिजिटल अर्थव्यवस्था का हिस्सा बन गये हैं.  आज, प्रौद्योगिकी समावेशन और सशक्तिकरण का माध्यम बन रही है. पीएम मोदी ने कहा कि कानूनी और वितरण तंत्र को मजबूत करने से हमारी न्याय प्रणाली मजबूत होगी. 


 
 भावी CJI  जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, यह वार्षिक सभा हमें याद दिलाती है कि न्याय प्रणाली का असली माप यह नहीं है कि यह जटिल मामलों को कितनी तेजी से तय करती है, बल्कि यह आम नागरिकों के जीवन को कितनी गहराई से छूती है.  यह कानून की व्याख्या करने वालों, इसे लागू करने वालों और देश के सबसे दूर के कोनों तक इसकी रोशनी पहुंचाने वालों के बीच साझेदारी का जश्न मनाती है. 
 
   

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