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यूपी में 2.89 करोड़ लोगों के नाम SIR में हटे, अखिलेश ने कसा तंज, भाजपा के वोटर कटे

Lucknow : उत्तर प्रदेश में 2.89 करोड़ लोगों के नाम SIR प्रक्रिया के तहत काटे जाने की खबर है. चुनाव आयोग के अनुसार अब SIR प्रक्रिया की समय सीमा नहीं बढ़ाई जायेगी. 31 दिसंबर को फाइनल ड्राफ्ट सामने आयेगा.


जानकारी के अनुसार सर्वाधिक 30 फीसदी नाम नाम लखनऊ और गाजियाबाद में वोटर लिस्ट से हटे हैं.फॉर्म भरने की समय सीमा 26 दिसंबर रात 12 बजे तक थी. एक बात और कि पिछले 14 दिन में महज 2 लाख नएये नाम जोड़े गये हैं. 


जान लें कि पूर्व में यूपी में SIR प्रक्रिया की अवधि 11 दिसंबर 2025 तक ही थी. ड्राफ्ट मतदाता सूची 16 दिसंबर को जारी की जानी थी. लेकिन इसकी अवधि यूपी निर्वाचन आयोग की मांग पर 26 दिसंबर 2025 तक बढ़ा दी गयी थी.


चुनाव आयोग ने SIR की प्रक्रिया को छह राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में 14 दिनों के लिए बढ़ाने का फैसला लिया था.


वोटर लिस्ट से 2.89 करोड़ नाम काटे जाने को लेकर अखिलेश ने भाजपा पर तंज कसा है.  


सपा प्रमुख ने कहा  कि मुख्यमंत्री कहते हैं कि 85 फीसदी  भाजपा के वोटर कटे हैं. यानी हर विधानसभा सीट पर 61,000 वोट कम हुए है.  भाजपा को हर सीट पर इतने वोट कम मिलेंगे. 


भाजपा  दहाई का अंक भी पार नहीं करेगी. SIR को भाजपाई करार देते हुए कहा कि भाजपा अपने खोदे गड्ढे में खुद गिर गयी है.


सूत्रों के अनुसार  जिनके नाम कटे हैं, उनमें से 1.26 करोड़ वोटर्स यूपी से बाहर हमेशा के लिए शिफ्ट हो गये हैं. 45.95 लाख वोटर्स की मृत्यु हो गयी है. 23.32 लाख डुप्लीकेट वोटर हैं. 84.20 लाख वोटरों का अता-पता नहीं है.  


जबकि 9.37 लाख लोगों ने फॉर्म जमा नहीं किये हैं.  खबरों के अनुसार  यूपी में SIR से पूर्व मतदाता सूची में 15.44 करोड़ वोटर्स थे.   


खबरों के अनुसार पश्चिम बंगाल में 5820899, राजस्थान में 4184819, लक्षद्वीप में 1429, पुदुचेरी में 103467, तमिलनाडु में 9737832, गुजरात में 7373327, केरल में 2408503,गोवा में 100042, छत्तीसगढ़ में 2734817, मध्य प्रदेश में 4274160, अंडनाम और निकोबार में 64014 नाम कटे हैं. 

 
विपक्ष का आरोप है कि  SIR प्रक्रिया के तहत हाशिए पर पड़े लोगों को उनके अधिकारों से वंचित किया जा रहा है. बिहार चुनाव के दौरान विपक्ष, खास कर राहुल गांधी ने इस मुद्दे को जोरदार तरीके से उठाया था.


राहुल गांधी ने वोटर अधिकार यात्रा निकाली थी. लेकिन चुनाव नतीजों में विपक्ष के सपने ध्वस्त हो गये. एसआईआर के बाद बिहार में हुए विधानसभा चुनाव में एनडीए ने भारी  बहुमत पाकर सत्ता पर कब्जा जमाया. 

 


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