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राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन: झारखंड में 35.70 लाख परिवारों को जोड़ा गया

Ranchi :  झारखंड में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) के तहत वित्तीय वर्ष 2025-26 तक स्वयं सहायता समूहों के जरीए 35 लाख 70 हजार 354 परिवारों को जोड़ा जा चुका है. इस मिशन के जरीए दो लाख 91 हजार 871 स्वयं सहायता समूहों को प्रमोट किया गया है. 

 

साथ ही 20 हजार 929 ग्राम संगठनों को बढ़ावा दिया गया है. जबकि 6615 सामुदायिक रिर्सोस पर्सन का विकास किया गया है. राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्र के गरीबों को स्वरोजगार और वित्तीय सेवाओं तक पहुंच प्रदान करके उनकी आय बढ़ाना है. 

 

झारखंड में झारखंड राज्य आजीविका संवर्धन सोसाइटी (जेएसएलपीएस) इस मिशन को लागू करती है और इसका लक्ष्य ग्रामीण परिवारों को स्वयं सहायता समूहों में संगठित करना है, जिससे उनकी आजीविका को बढ़ावा मिले.

 

1.88 लाख स्वयं सहायता समूहों को मिला ऋण


झारखंड में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत एक लाख 88 हजार 34 स्वयं सहायता समूहों को ऋण मिला है. इनके बीच 2674.15 करोड़ रुपए वितरित किए जा चुके हैं. जबकि सामुदायिक निवेश निधि से 1536.28 करोड़ रुपए दिए गए हैं. 


क्या है मिशन के उद्देश्य


•    गरीबी उन्मूलन: ग्रामीण गरीबी को कम करने के लिए गरीबों को स्थायी आजीविका के अवसर प्रदान करना.
•    संस्थागत मंच: गरीबों के लिए मजबूत जमीनी संस्थाओं, जैसे स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) का निर्माण करना.
•    वित्तीय समावेशन: गरीबों को बेहतर वित्तीय सेवाओं और औपचारिक क्रेडिट तक पहुंच प्रदान करना.
•    आजीविका संवर्धन: रोजगार और स्वरोजगार के अवसरों को बढ़ावा देना और आजीविका के विविधीकरण में सहायता करना.
•    सामाजिक सशक्तिकरण: गरीबों के अधिकारों, सार्वजनिक सेवाओं तक पहुंच और सामाजिक सुरक्षा में सुधार करना

 

 


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