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नींबू पहाड़ अवैध खनन केस : SC से CBI जांच को चुनौती वाली राज्य सरकार की याचिका खारिज

Ranchi: सुप्रीम कोर्ट ने पहाड़ अवैध खनन मामले में सीबीआई जांच को चुनौती देने वाली राज्य सरकार की याचिका खारिज कर दी. इससे सीबीआई अब इस मामले में जांच पूरा कर आरोप पत्र दायर कर सकेगी. सुप्रीम कोर्ट ने 2024 में राज्य सरकार की इस याचिका पर सुनवाई के दौरान सीबीआई को जांच जारी रखने की अनुमति दी थी. लेकिन आरोप पत्र दायर करने पर रोक लगा दी थी.

 

सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश संजीव खन्ना और दीपांकर दत्ता की पीठ ने राज्य सरकार की याचिका पर सुनवाई के बाद 3-5-2024 को दिये गये आदेश में  नींबू पहाड़ अवैध खनन में जांच जारी रखने, लेकिन आरोप पत्र दायर करने पर पाबंदी लगा दी थी. 

 

सीबीआई ने 20-8-2025 को सुप्रीम कोर्ट में एक हस्तक्षेप याचिका दायर कर कोर्ट द्वारा लगाये गये रोक को हटाने का अनुरोध किया था. सीबीआई की ओर से दायर इस याचिका पर 10 दिसंबर को सुनवाई हुई. न्यायाधीश संजय कुमार और न्यायाधीश आलोक अराधे की पीठ ने याचिका पर सुनवाई के बाद राज्य सरकार की याचिका ख़ारिज कर दी. 

 

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से सीबीआई अब अपनी जांच पूरी करने के बाद मामले में आरोप पत्र दायर कर सकेगी. सुप्रीम कोर्ट में राज्य सरकार की ओर से यह तर्क दिया गया था कि झारखंड हाईकोर्ट ने विजय हांसदा द्वारा ST/SC थाने में दर्ज करायी गयी प्राथमिकी (6/22) की जांच सीबीआई को सौंपी ही नहीं थी. 

 

इस मामले में पुलिस ने जांच पूरा करने के बाद आठों अभियुक्तों के ख़िलाफ Final Report समर्पित कर दिया है. इसके अलावा राज्य सरकार की ओर से यह तर्क भी पेश किया गया कि सरकार ने दिल्ली पुलिस स्टैबलिशमेंट एक्ट की धारा छह के तहत सीबीआई को राज्य सरकार की सहमति के बिना कार्रवाई करने के लिए दिये गये अधिकार को समाप्त कर दिया. इसलिए मामले की जांच के लिए राज्य सरकार से अनुमति लेना आवश्यक है. लेकिन सीबीआई राज्य सरकार की अनुमति के बिना ही नींबू  पहाड़ अवैध खनन मामले की जांच कर रही है.

 

क्या है पूरा मामला 


 विजय हांसदा ने साहिबगंज में ST/SC थाने में मुख्यमंत्री के विधायक प्रतिनिधि सहित आठ के ख़िलाफ प्राथमिकी दर्ज करायी थी. इसमें नींबू  पहाड़ पर अवैध खनन करने और मना करने पर उसके साथ मारपीट करने का आरोप लगाया गया था. पुलिस द्वारा कार्रवाई नहीं करने पर विजय हांसदा की ओर से हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गयी. इसमें उसके द्वारा SC/ST थाने में दर्ज करायी गयी प्राथमिकी(6/22) की जांच सीबीआई से कराने का अनुरोध किया गया था. 

 

मामले की सुनवाई के दौरान विजय हांसदा की ओर से एक हस्तक्षेप याचिका दायर कर सीबीआई जांच की मांग करने वाली याचिका को वापस लेने का अनुरोध किया गया. न्यायालय ने सुनवाई के बाद यह माना कि मामले में पर्दे के पीछे कोई है. इसलिए सीबीआई को मामले की जांच करने का आदेश दिया. 

 

न्यायाधीश संजय कुमार द्विवेदी द्वारा 18-3-2023 को दिये गये इस फैसले के ख़िलाफ राज्य सरकार ने हाईकोर्ट मे एक याचिका दायर की. इसमें सरकार की ओर से यह कहा गया कि सीबीआई ने राज्य सरकार की अनुमति के बिना ही मामले में प्राथमिकी दर्ज कर जांच कर रही है. 

 

दिल्ली पुलिस स्टैबलिशमेंट एक्ट की धारा छह के तहत सीबीआई जांच से पहले राज्य सरकार की अनुमति लेना जरूरी है. राज्य सरकार की इस याचिका पर न्यायाधीश सुजीत नारायण की पीठ में सुनवाई हुई. न्यायालय ने राज्य सरकार की याचिका खारिज कर दी. इसके बाद राज्य सरकार ने सीबीआई जांच के आदेश को चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट में वर्ष 2024 में याचिका दायर की. इसे सुप्रीम कोर्ट ने आज खारिज कर दिया.

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