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निशिकांत दुबे ने आईना दिखाया, चुनाव आयुक्तों को मलाईदार पदों से नवाजने वाली कांग्रेस हमें नैतिकता न सिखाये

New Delhi :  लोकसभा में आज चुनाव सुधार पर चर्चा के क्रम में राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि देश के सभी संस्थानों पर आरएसएस का कब्जा  हो रहा है.  साथ ही राहुल गांधी ने चुनाव आयोग पर गंभीर सवाल उठाते हुए कहा कि आयोग स्वतंत्र अंपायर की भूमिका में नहीं रह गया है. उन्होंने मोदी सरकार से पूछा कि सीजेआई को मुख्य चुनाव आयुक्त की चयन समिति से क्यों हटाया गया?  क्या आप को सीजेआई पर विश्वास नहीं है?'

 

 

राहुल गांधी द्वारा चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर प्रश्नचिह्न खड़ा किये जाने पर भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने कांग्रेस पर करारा हमला किया. चर्चा में भाग लेने की बारी आने पर निशिकांत दुबे ने राहुल गांधी को इतिहास का आईना दिखाया. निशिकांत दुबे कहा, आज जो कांग्रेस लोकतंत्र और संस्थाओं की दुहाई दे रही है, वह अपने  अतीत में झांके.

 

 निशिकांत दुबे नेआरोप लगाया कि मुख्य चुनाव आयुक्तों (CEC) की सेवानिवृत्ति के बाद उन्हें मलाईदार पदों पर बैठाने की परंपरा कांग्रेस ने शुरू की थी. निशिकांत दुबे ने इतिहास के उन पन्नों को खोलते हुए कहा,  देश के पहले चुनाव आयुक्त सुकुमार सेन जब रिटायर हुए, तो कांग्रेस सरकार ने उन्हें दूत बनाकर सूडान भेज दिया.

 

दुबे ने कहा,  पूर्व सीईसी वीएस रमादेवी को सेवानिवृत् होने के बाद हिमाचल प्रदेश का राज्यपाल बनाया गया.  चर्चित चुनाव आयुक्त टीएन शेषन को रिटायरमेंट के बाद कांग्रेस ने अहमदाबाद से भाजपा के खिलाफ चुनाव मैदान में उतारा. कहा कि पूर्व सीईसी एमएस गिल को रिटायर होने के बाद सीधे केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किया गया. जवाब मांगा कि चुनाव आयोग का राजनीतिकरण किसने किया.

 

निशिकांत दुबे ने ईवीएम और चुनाव सुधार के संदर्भ में कहा, देश में अब तक केवल तीन प्राइवेट मेंबर रिजॉल्यूशन पास हुए हैं. पहला रिजॉल्यूशन लालकृष्ण आडवाणी का था, जिसकी बदौलत आज देश में ईवीएम और चुनाव सुधार दिख रहे हैं. दूसरा सौभाग्य मुझे(दुबे) मिला, जब अनुच्छेद 370 और 35A पर उनका रिजॉल्यूशन पास हुआ.

 

आरोप लगाया कि कांग्रेस जिन्ना से लेकर सलमान रुश्दी और शाहबानो से लेकर बाबरी तक, सिर्फ तुष्टिकरण के जाल में उलझी रही है.वोट बैंक की राजनीति के डर से राहुल और प्रियंका गांधी आज तक राम मंदिर दर्शन करने नहीं गये. कांग्रेस ने बार-बार मुस्लिम वोट पाने के लिए नैतिक मूल्यों से समझौता किया है. उन्होंने दावा किया कि यह प्रवृत्ति तब से चल रही है जब नेहरू सत्ता में थे.

 

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