- - पहले 2006 तक दर्ज मामलों का निपटारा लोक अदालतों में होता था.
- - अदालतों में बढ़ते बोझ को कम करने के दिशा में कारगर होगा यह फैसला.
Ranchi : जिलों में आयोजित होने वाले राष्ट्रीय लोक अदालतों में अब वर्ष 2014 तक के मामलों में सुलह, वापसी या निष्पादन किया जा सके. पहले वर्ष 2006 तक के मामलों पर ही लोक अदालतों में विचार किया जाता था. झारखंड सरकार के गृह विभाग ने इससे संबंधित आदेश जारी कर दिया है. गृह विभाग ने राज्य के अभियोजन निदेशक को इसे लेकर पत्र लिखा है.
पत्र के मुताबिक, अदालतों में बढ़ते मामलों को कम करने के लिए राज्य विधिक सेवा प्राधिकार ने 17 जून को यह अनुरोध किया था कि राष्ट्रीय लोक अदालतों में मामलों को रखने की समय सीमा 2006 से बढ़ा कर 2014 कर दिया जाये. इस अनुरोध के आधार पर यह फैसला लिया गया है.
किन मामलों पर होता है विचार
मोटर वेहिकल एक्ट के मामले.
पुलिस एक्ट के मामले.
बिहार एक्साइज एक्ट की धारा 47 से जुड़े मामले.
स्टेंडर्स वेटर्स एंड मेजर्स के मामले.
मिनमिम वेजेज एक्ट के मामले.
बिहार-बंगाल प्रिवेंशन ऑफ गबलिंग एक्ट के मामले.
झारखंड प्रोहिबिशन ऑफ स्मॉकिंग एंड नन स्मॉकर्स हेल्थ प्रोटेक्शन एक्ट - 2001 के तहत दर्ज मामले.
प्रिंवेंशन ऑफ क्रुअल्टी टू एनिमल एक्ट के तहत दर्ज मामले.
दंड प्रक्रिया संहिता 320 (1)/320 (2)/321 के प्रावधानों के अनुसार, भादवि की धारा 160, 277, 278, 279, 282, 284, 285, 286, 287, 288, 289, 290, 294, 309, 336, 337, 338, 426 व 610 के तहत दर्ज मामले.
Lagatar Media की यह खबर आपको कैसी लगी. नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में अपनी राय साझा करें.
Leave a Comment