Ranchi: झारखंड में अब सरकारी तिजोरी खोलने के लिए नए प्रावधान किए गए हैं. नए प्रावधान के तहत जो भी सरकारी राशि कोषागार या बैंक में नहीं रखी गई है, उसे मजबूत तिजोरी में रखा जाएगा. लेकिन इस संदूक को तब तक नहीं खोला जाएगा, जब तक कि चाबियों के दोनों संरक्षक मौजूद न हों. एक डुप्लीकेट चाबी रजिस्टर रखा जाएगा. साल में एक बार प्रत्येक अप्रैल में या कार्यालय का कार्यभार ग्रहण करते समय, चाबी जांच के लिए प्राप्त की जा सकेगी.
ऐसे होगी तिजोरी की सुरक्षा
•    मजबूत कोषागार संदूक: सरकारी धन को मज़बूत कोषागार संदूकों में रखा जाएगा, जो अलग-अलग पैटर्न के दो तालों से सुरक्षित होंगे.
•    चाबियों की सुरक्षा: एक ही ताले की सभी चाबियां एक ही व्यक्ति की सुरक्षा में रखी जाएंगी, और एक ताले की चाबियां दूसरे ताले की चाबियों से अलग रखी जाएंगी.
•    संदूक खोलने की प्रक्रिया: संदूक को तब तक नहीं खोला जाएगा जब तक कि चाबियों के दोनों संरक्षक मौजूद न हों.
•    पुलिस गार्ड की भूमिका: जब कोई पुलिस गार्ड हो, तो ऐसे गार्ड का प्रभारी अधिकारी एक ताले की चाबियों की अभिरक्षा में रहेगा.
•    विचलन की अनुमति: विभागाध्यक्ष किसी भी व्यक्तिगत मामले में इस नियम से विचलन को अधिकृत कर सकते हैं.
•    डुप्लीकेट चाबियों की अभिरक्षा: विभागीय तिजोरियों की डुप्लीकेट चाबियां कार्यालयाध्यक्ष की मुहर के नीचे उसके अगले उच्च अधिकारी की अभिरक्षा में रखी जाएंगी.
•    चाबी रजिस्टर: एक डुप्लीकेट चाबी रजिस्टर रखा जाएगा और वर्ष में एक बार प्रत्येक अप्रैल में या कार्यालय का कार्यभार ग्रहण करते समय, चाबी जांच के लिए प्राप्त की जाएगी.
•    नकदी तिजोरियों की चाबियां: विभागीय नकदी तिजोरियों की चाबियां आहरण एवं संवितरण अधिकारी के पास रखी जाएंगी.
•    सुरक्षा की राशि: कैशियर, स्टोर-कीपर, उप-स्टोर-कीपर और नकदी या भंडार की रखवाली करने वाले अधीनस्थों को सुरक्षा की राशि प्रदान की जाएगी.
•    सुरक्षा के रूप में जमा: केंद्र सरकार या राज्य सरकार के वचन पत्र और/या स्टॉक प्रमाणपत्र सुरक्षा के रूप में जमा किए जा सकते हैं.
 खर्च और प्रबंधन के लिए भी नए नियम
राज्य सरकार ने सार्वजनिक निधि के खर्च और प्रबंधन के लिए भी नए नियम जारी किए हैं. इन नियमों का उद्देश्य सरकारी राशि की सुरक्षा और पारदर्शिता सुनिश्चित करना है. इसके तहत सार्वजनिक निधि से खर्च करने वाले अधिकारियों को उच्च मानकों का पालन करना होगा.
 क्या है नया प्रावधान
•    खर्च प्रथम दृष्टया अवसर की मांग से अधिक नहीं होना चाहिए.
•    खर्च स्वीकृत करने वाले अधिकारियों को अपने लाभ के लिए खर्च नहीं करना होगा.
•    सार्वजनिक निधि से खर्च किसी विशेष व्यक्ति या जनता के किसी वर्ग के लाभ के लिए नहीं किया जाना चाहिए.
•    भत्ते की राशि को इस प्रकार विनियमित किया जाना चाहिए कि भत्ते प्राप्तकर्ताओं के लिए समग्र रूप से लाभ का स्रोत न बनें.
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