Ranchi : इस साल श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व 16 अगस्त को मनाया जाएगा. यह आध्यात्मिक त्योहार देश और दुनिया में धूमधाम से मनाया जाता है. पंचांग के अनुसार यह पर्व भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को आता है. तिथि की शुरुआत 15 अगस्त रात 11:48 बजे और समाप्ति 16 अगस्त रात 10:15 बजे होगी. ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक, भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव 16 अगस्त की मध्यरात्रि को मनाना ही शास्त्रसम्मत है.
अंधकार मिटाने आए थे श्रीकृष्ण
द्वापर युग में जब अधर्म, अत्याचार और अन्याय चरम पर था, तब भगवान विष्णु ने श्रीकृष्ण रूप में अवतार लिया. उनका जन्म मथुरा के कंस के कारागार में अर्धरात्रि के समय हुआ. यह इस बात का प्रतीक है कि जब भी अन्याय बढ़ेगा, ईश्वर स्वयं अवतार लेंगे.
लीलाओं से लेकर गीता उपदेश तक झांकियों में दिखाई जाती है
- सिर्फ माखनचोरी और रासलीला ही नहीं, श्रीकृष्ण का जीवन हर युग में मानवता के लिए मार्गदर्शक रहा है.
- भक्ति और उत्सव का संगम है कृष्णा उत्सव.
- जन्माष्टमी पर भक्त दिनभर उपवास रखते हैं. इसके साथ ही मंदिर और घरों की भव्य सजावट होती है. जगह-जगह पर झांकियां, झूले और रासलीला का आयोजन होता है.
- माखन, मिश्री, फल, पंचामृत और 56 भोग का होगा अर्पण.
- भजन, कीर्तन और हरे कृष्ण महामंत्र का जाप.
- कई जगह दही-हांडी प्रतियोगिताएं होती हैं, जो बालकृष्ण की माखन चोरी की याद दिलाती हैं.
विदेशों में भी रहता है उमंग का माहौल
भारत के साथ-साथ विदेशों में भी जन्माष्टमी बड़े उत्साह से मनाई जाती है. वृंदावन, मथुरा, द्वारका और इस्कॉन मंदिरों में लाखों श्रद्धालू की भीड़ उमड़ती है.
सिर्फ धार्मिक नहीं, सामाजिक एकता का पर्व
विश्व हिंदू परिषद सेवा विभाग के प्रांतीय प्रवक्ता संजय सर्राफ ने कहा कि जन्माष्टमी केवल धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि आध्यात्मिक जागरण, सामाजिक एकता और सांस्कृतिक समृद्धि का पर्व है. इस दिन हमें सत्य, प्रेम, न्याय और कर्म को अपनाने का संकल्प लेना चाहिए.
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