New Delhi : सलवा जुडूम फैसले पर सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज व इंडिया अलायंस के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार बी सुदर्शन रेड्डी पर की गयी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की टिप्पणी की आलोचना 18 पूर्व न्यायाधीशों ने की थी. उन 18 पूर्व न्यायाधीशों की टिप्पणी पर 56 सेवानिवृत्त न्यायाधीशों ने पलटवार किया. इस बयानबाजी को लेकर वरिष्ठ अधिवक्ता और पूर्व अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने अपनी बात रखी है.
#WATCH | Delhi | On 56 retired judges countering the statement of 18 other former judges who criticised Union Home Minister's remark over Salwa Judum verdict, Senior advocate & former attorney general, Mukul Rohatgi says, "I think that the remarks of the 56 judges are more… pic.twitter.com/14Ta9gik5K
— ANI (@ANI) August 27, 2025
उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि 56 न्यायाधीशों की टिप्पणी दूसरे पक्ष के 18 न्यायाधीशों की तुलना में ज़्यादा उपयुक्त है. इसका सीधा सा कारण यह है कि अगर कोई व्यक्ति राजनीतिक क्षेत्र में प्रवेश करता है, तो वह जनता के सामने होता है और उसकी साख पर बहस हो सकती है.
पूर्व अटॉर्नी जनरल ने कहा कि यह कहने का कोई फ़ायदा नहीं है कि 20 साल पहले दिये गये किसी न्यायाधीश के फ़ैसले की आलोचना नहीं की जानी चाहिए. कहा कि हर फ़ैसले की आलोचना की जा सकती है, इस फ़ैसले(सलवा जुडूम की भी आलोचना की जा सकती है. इस फ़ैसले की आलोचना एक राजनीतिक क्षेत्र(अमित थाह) से की गयी है.
इसलिए ज़ाहिर है कि लोग इस पर बात करेंगे. मुकुल रोहतगी ने आश्चर्य व्यक्त किया कि 18 न्यायाधीश ख़ुद न्यायाधीश से ज़्यादा संवेदनशील क्यों हैं? एक वकील होने के नाते, मैं कह सकता हूं कि यह एक विवादास्पद फ़ैसला था. कहा कि एक राजनेता की चमड़ी मोटी होनी चाहिए और उसे जनता की आलोचना का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए.
बता दें कि बी सुदर्शन रेड्डी सल्वा जुडुम के खिलाफ उनके फैसले को लेकर भाजपा नेताओं की आलोचनाओं पर कहा है कि इस बारे में वे अपना पक्ष पहले ही रख चुके हैं, भाजपा नेता इस मसले को लेकर एक धारणा बनाने का प्रयास कर रहे हैं.
Lagatar Media की यह खबर आपको कैसी लगी. नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में अपनी राय साझा करें.
Leave a Comment