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झारखंड के अंगीभूत कॉलेजों में इंटरमीडिएट बंद करने का आदेश, शिक्षकों और शिक्षा मंत्री को आपत्ति

 Ranchi :  झारखंड में अंगीभूत कॉलेजों में इंटरमीडिएट (11वीं–12वीं) की पढ़ाई समाप्त करने के निर्देश राज्यपाल द्वारा जारी किये गये हैं. सभी विश्वविद्यालयों को आदेश दिया गया है कि वे अपने अधीनस्थ अंगीभूत कॉलेजों में इस सत्र से इंटरमीडिएट के लिए नामांकन न लें.

 

राज्य के शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन ने इस आदेश का विरोध करते हुए इसे केंद्र सरकार के इशारे पर राज्य सरकार को अस्थिर करने की साजिश बताया है. उन्होंने कहा, इंटरमीडिएट बंद करने का आदेश छात्रों के बीच भ्रम की स्थिति उत्पन्न करेगा. अभी मैट्रिक का परिणाम आया है और छात्र प्लस-टू स्कूलों में नामांकन की तैयारी कर रहे हैं.

 

इंटरमीडिएट शिक्षक संघ ने इसका विरोध करते हुए अपनी चार प्रमुख बातें रखी हैं, संघ के महामंत्री डॉ रामानुज पांडे ने निम्नलिखित बिंदुओं में अपना पक्ष प्रस्तुत किया है

 

1.झारखंड सरकार की योजना थी कि इंटरमीडिएट को तीन सत्रों (2023–25, 2024–26, 2025–27) में चरणबद्ध तरीके से समाप्त किया जाये, लेकिन रांची विश्वविद्यालय ने इसे दूसरे सत्र से ही बंद कर दिया. अब राजभवन ने अचानक इसे पूरी तरह समाप्त करने का आदेश दे दिया है, जो अन्यायपूर्ण है.

2.पिछले 16–17 वर्षों से इंटरमीडिएट में पढ़ा रहे शिक्षक बेरोजगार हो जायेंगे.

3.एससी/एसटी और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के छात्रों को सस्ती शिक्षा उपलब्ध हो रही थी. अब उन्हें महंगे निजी स्कूलों में जाना पड़ेगा, जिसकी फीस वे वहन नहीं कर पायेंगे.

4. (G.S. मणि बनाम राज्य, रिट याचिका संख्या: 11976/2022) के संदर्भ में उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने हाल ही में स्पष्ट किया है कि नयी शिक्षा नीति (NEP) को जबरन लागू नहीं किया जा सकता.

 

इन बिंदुओं के आधार पर शिक्षक संघ ने प्रश्न उठाया है कि क्या यह निर्णय छात्र हित में है और क्या यह झारखंड की सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियों के अनुकूल है?

 

इस आदेश के तहत राज्यपाल के द्वारा सभी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को पत्र भेजा गया है. इसमें उल्लेख है कि यह निर्णय राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुसार लिया गया है.  अंगीभूत कॉलेजों में इंटरमीडिएट नामांकन पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाई जाए.