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ऑपरेशन सिंदूर को लेकर का पाकिस्तान था खौफजदा, राष्ट्रपति जरदारी, विदेश मंत्री इशाक डार को बंकर में जाने को कहा गया था

New Delhi :  ऑपरेशन सिंदूर  को लेकर पाकिस्तान से बड़ा कबूलनामा सामने आया है. पाकिस्तान के बड़े नेताओं ने इस राज का पर्दाफाश किया है कि पाकिस्तानी हुक्मरानों के माथे पर बल पड़ गये थे. उन्हें मौत का डर सता रहा था.


इसी साल मई  में पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में भारत द्वारा की गयी  सैन्य कार्रवाई (ऑपरेशन सिंदूर से पाकिस्तान हिल गया था. पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी और उप प्रधानमंत्री व  विदेश मंत्री इशाक डार द्वारा जारी बयानों ने यह बात साफ हो गयी है.   


राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने एक सार्वजनिक कार्यक्रम में शनिवार को कहा कि  मई में भारत के भीषण हमलों के कारण पाकिस्तान का आला नेतृत्व  भारी खौफजदा था. जरदारी ने कहा कि उनके सैन्य सचिव ने कहा था कि युद्ध शुरू हो चुका है. मुझे(जरदारी) तुरंत सुरक्षा के लिहाज से बंकर में चले जाना चाहिए.


हालांकि जरदारी ने शेखी बघारी. कहा कि उन्होंने बंकर में जाने से मना कर दिया था. पाकिस्तान के विदेश मंत्री और उप प्रधानमंत्री इशाक डार ने भी एक प्रेस कॉंफ्रेस में माना की भारत ने रावलपिंडी के चकाला स्थित नूर खान एयरबेस को निशाना बनाया था.


डार ने कहा कि भारत ने 36 घंटों के अंदर हमारे इलाके में लगभग 80 ड्रोन भेजे थे. डार ने भी अपनी जनता को बरगलाते हुए कहा, हमने अधिकांश हमले रोक दिये. लेकिन एक ड्रोन ने हमारे सैन्य प्रतिष्ठान को भारी नुकसान पहुंचाया. वहां तैनात कई सैन्य कर्मी घायल हो गये.    
 

रक्षा विशेषज्ञों और सैटेलाइट इमेजरी के अनुसार,  ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारत ने आतंकी शिविरों को तो ध्वस्त किया ही, पाकिस्तान के मुख्य वायुसेना अड्डों को भी सटीक हमले किये.

 

सैटेलाइट तस्वीरों में रावलपिंडी स्थित नूर खान वायु सेना, सरगोधा स्थित पीएएफ बेस मुशफ, भोलारी वायु सेना और जैकबबाद स्थित पीएएफ बेस शाहबाज सहित चार पाकिस्तानी वायु अड्डों को हुए नुकसान  की पुष्टि की गयी है.

 

पाकिस्तान के विदेश मंत्री डार के बयान को  भारतीय सेना के सेवानिवृत्त अधिकारी लेफ्टिनेंट जनरल केजेएस ढिल्लों ने  झूठा करार दिया है. कहा कि भारत के हमलों के बाद नूर खान बेस आग की लपटों में घिरा हुआ था.

 

पाकिस्तान के दावे को खारिज किया कि लक्ष्य पर सिर्फ एक ड्रोन से हमला हुआ था. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में 138 कर्मियों को मरणोपरांत सम्मानित किया गया.  यह भारतीय हमले का गंभीर परिणाम था.

 
       

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