एसएनसीयू में ड्यूटी से नदारद थे डॉक्टर, सीसीटीवी फुटेज पर भी सस्पेंस
Medininagar : मेदिनी राय मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (एमआरएमसीएच) में 10 दिसंबर की रात नवजात की मौत के बाद जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं. हंगामे के बाद एसएनसीयू वार्ड में तैनात नर्स रानी यादव पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए त्वरित कार्रवाई कर दी गई. हालांकि अब उसी नर्स के बयान ने पूरे मामले को नया मोड़ दे दिया है.
नर्स रानी यादव का दावा है कि जिस नवजात की मौत हुई, उसे उनके पास भर्ती कराने के लिए कोई परिजन लेकर ही नहीं आया था. 10 दिसंबर की रात करीब 9 बजे बालाजी स्टाफ के उज्ज्वल कुमार का फोन आया था. फोन करने वाले ने कहा कि राणा सर कॉन्फ्रेंस कॉल में हैं, अगर पुष्पा देवी का बच्चा आए तो भर्ती कर लिया जाए. नर्स के अनुसार, कॉल का रिकॉर्ड उनके मोबाइल में मौजूद है.
नर्स का कहना है कि करीब आधा घंटा बाद परिजन बिना बच्चे के ही एसएनसीयू पहुंचे. उन्होंने बताया कि बच्चा रो रहा है और उसे डॉक्टर को दिखाना है. इस पर उन्हें बताया गया कि एसएनसीयू में उस समय कोई डॉक्टर मौजूद नहीं है और इमरजेंसी में दिखा लें. इसके बाद परिजन चले गए.
तीन घंटे बाद गंभीर हालत में पहुंचा बच्चा
नर्स के अनुसार रात करीब 12 बजे परिजन नवजात को गंभीर हालत में लेकर एसएनसीयू पहुंचे.बच्चे की स्थिति देखते ही उसने तुरंत प्राथमिक प्रयास किया.मुंह में जमे दूध को साफ किया और लगातार डॉक्टरों को कॉल किया, लेकिन किसी डॉक्टर ने फोन रिसीव नहीं किया और न ही कोई वार्ड में पहुंचा. इन कॉल्स का रिकॉर्ड भी उनके पास होने का दावा किया गया है.
पांच घंटे तक बच्चा कहां था?
सबसे बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि शाम 7 बजे से रात 12 बजे तक नवजात अस्पताल के किस सिस्टम में था और उसकी निगरानी कौन कर रहा था.अगर बच्चा जन्म के बाद से ही अस्वस्थ था, तो उसे तत्काल एसएनसीयू में भर्ती क्यों नहीं किया गया?
डॉक्टरों की अनुपस्थिति पर सवाल
परिजनों ने बाद में बच्चे को इमरजेंसी में ले जाकर दिखाया.जहां जांच के बाद डॉक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया.सवाल यह भी है कि जब डॉक्टर पहले बच्चे का इलाज कर चुके थे,तो भर्ती में इतनी देरी क्यों हुई. साथ ही आपात स्थिति में किसी डॉक्टर ने फोन क्यों नहीं उठाया?
बिना पक्ष सुने कार्रवाई का आरोप
नर्स रानी यादव का आरोप है कि उनके खिलाफ कार्रवाई से पहले न तो स्पष्टीकरण मांगा गया और न ही अपनी बात रखने का मौका दिया गया.बैठक के बाद उन्हें एसएनसीयू से हटाकर सिविल सर्जन कार्यालय में अटैच कर दिया गया.नर्स ने दबाव डालकर गलती स्वीकार कराने और माफी मांगने की धमकी देने का भी आरोप लगाया है. नर्स ने पलामू डीसी समीरा एस, सिविल सर्जन डॉ. अनिल श्रीवास्तव और राज्य सरकार से अस्पताल परिसर के सीसीटीवी फुटेज की निष्पक्ष जांच कराने की मांग की है. उनका कहना है कि दोषी पाए जाने पर सख्त कार्रवाई हो, लेकिन निर्दोष होने पर उन्हें बलि का बकरा न बनाया जाए.
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