Medininagar : पलामू जिले में इन दिनों नवजात शिशु सुरक्षा सप्ताह चल रहा है. इसी क्रम में बुधवार को मेदिनीनगर में सिविल सर्जन डॉ. अनिल श्रीवास्तव के नेतृत्व में स्वास्थ्य विभाग की ओर से सभी सीएचसी, पीएचसी व सरकारी अस्पतालों में तैनात एएनएम को प्रशिक्षण दिया गया. सिविल सर्जन डॉ. श्रीवास्तव ने कहा कि माताओं और गर्भवती महिलाओं को नवजात की सुरक्षा, पोषण और देखभाल के प्रति जागरूक करना अभियान का उद्देश्य है. जन्म के बाद छह माह तक शिशु को केवल स्तनपान कराना बेहद जरूरी है. मां का दूध ही नवजात के लिए सबसे पौष्टिक आहार है.
उन्होंने कहा कि जिले में शिशु मृत्यु दर अभी भी 18% है, जिसे कम करने के लिए निरंतर अभियान चलाया जा रहा है. अधिकारियों के मुताबिक सितंबर से दिसंबर के बीच सबसे अधिक प्रसव होते हैं. इसलिए इस अवधि में नवजात की देखभाल, ठंड से बचाव और बीमारियों से सुरक्षा को लेकर व्यापक जागरूकता चलाना जरूरी होता है. जन्म के बाद शुरुआती एक सप्ताह को सबसे संवेदनशील माना गया है.
आंकड़ों के अनुसार, हर साल 0-5 वर्ष तक के लगभग 16% बच्चे निमोनिया से प्रभावित होते हैं. समय पर इलाज न मिलने पर यह मृत्यु का बड़ा कारण बन जाता है. डॉ. श्रीवास्तव ने बताया कि नवजात और मां को जन्म के तुरंत बाद 25-27 डिग्री तापमान में रखना चाहिए. 2.5 किलो से कम वजन वाले या प्री-मैच्योर बच्चों की प्रतिरोधक क्षमता कम होती है.ऐसे बच्चों अतिरिक्त देखभाल की जरूरत होती है.
डॉ. गौरव विशाल ने कहा कि वर्तमान में पलामू जिले में सिर्फ एक ही एसएनसीयू संचालित है. उन्होंने कहा कि जन्म के बाद बच्चे को साफ तौलिये से पोछना, गीले कपड़े दूर रखना, स्किन-टू-स्किन कांटेक्ट बनाए रखना तथा ऑक्सीजन स्तर को नियंत्रित रखना बेहद जरूरी है.अधिक या कम ऑक्सीजन दोनों ही नवजात के लिए हानिकारक हो सकते हैं.
Lagatar Media की यह खबर आपको कैसी लगी. नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में अपनी राय साझा करें.



Leave a Comment