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पलामूः जर्जर गाड़ियों के भरोसे है जिला पुलिस की गश्ती व्यवस्था

Rewti Raman 

Medininagar : पलामू जिले में पुलिस का गश्ती व्यवस्था पुराने वाहनों के भरोसे चल रही है. जिले के अधिकतर थानों में गश्ती के लिए प्रयुक्त पीसीआर वैन जर्जर हो चुकी हैं. नए वाहनों के आवंटन की प्रतीक्षा में पुलिस कर्मियों को हर दिन कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. इन्हीं जर्जर वाहनों से रात में हाईवे व अन्य सड़कों पर पेट्रोलिंग की जाती है. वर्तमान में लेस्लीगंज, छतरपुर, पिपराटांड़, पांडू, पड़वा, नावाबाजार व ऊंटारी रोड थाना को एक-एक वाहन दिया गया है.


झारखंड पुलिस को वर्ष 2016 में टाटा सफारी स्टॉर्म मॉडल के पीसीआर वाहन आवंटित किए गए थे. उसी दौरान पलामू जिले को कुल आठ गाड़ियां मिली थीं. शुरुआत में इन गाड़ियों का उपयोग हाईवे और शहरी क्षेत्रों में रात्री गश्ती के लिए किया जाता था, जिससे अपराध नियंत्रण मंप काफी मदद मिलती थी. लेकिन अब इन वाहनों की हालत दयनीय हो गई है. कई गाड़ियां कंडम हो चुकी हैं, जबकि कुछ मरम्मत के बाद किसी तरह काम चला रही हैं. पुलिस गश्ती अब काफी हद तक पुराने जीप या निजी वाहनों के भरोसे चल रही है.

शहर व सदर थाना में पीसीआर वाहन का टोटा


अपराध की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण शहर व सदर थाना क्षेत्र में इस समय कोई पीसीआर वाहन उपलब्ध नहीं है. थानों में जो गाड़ियां बची हैं, उनका उपयोग वीआईपी स्कॉर्ट, प्रशासनिक काम व अन्य आपात गतिविधियों में किया जाता है. टाटा सफारी वाहनों को हर मौसम और हर परिस्थिति के लिए उपयुक्त माना जाता था. ये वाहन लंबी दूरी और कठिन इलाकों में गश्ती के लिए सबसे भरोसेमंद माने जाते थे. अब इनकी हालत भी खराब हो चुकी है. कई बार आपात स्थिति में इन्हें चालू करने के लिए अतिरिक्त प्रयास करने पड़ते हैं.

 

20 नई बोलेरो व 30 हाई स्पीड बाइक जल्द मिलने के आसार 


सूत्रों के मुताबिक, झारखंड पुलिस की आधुनिकीकरण योजना के तहत गढ़वा सहित कई जिलों को नये वाहन दिए जा चुके हैं. संभावना जताई जा रही है कि इस माह के अंत तक पलामू को लगभग 20 बोलेरो और 30 हाई–स्पीड बाइक मिल सकती हैं. इन नई गाड़ियों के मिलने से जिले की गश्ती व्यवस्था में सुधार की उम्मीद है. खासकर टाइगर जवानों और ट्रैफिक पुलिस को नई बाइक मिलने से आपराधिक घटनाओं पर त्वरित नियंत्रण संभव होगा.

 

नए वाहन मिलने से अपराध नियंत्रण में होगा सुधार


पुरानी गाड़ियां अब मुश्किल से चल रही हैं. कई बार तो गश्ती के दौरान बीच रास्ते में ही खराब हो जाती हैं. अगर नए वाहन मिल जाए तो रात्रि गश्ती और अपराध नियंत्रण दोनों में सुधार निश्चित है. पलामू जैसे संवेदनशील जिले में गश्ती व्यवस्था का मजबूत होना न केवल कानून-व्यवस्था, बल्कि आम जनता की सुरक्षा से भी सीधा जुड़ा हुआ है. अब देखना यह है कि नई गाड़ियों का आवंटन कब तक होता है और कब तक पुलिस की गश्ती व्यवस्था दोबारा सड़कों पर अपनी पुरानी रफ्तार पकड़ पाती है.


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