New Delhi : इंश्योरेंस सेक्टर में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) की सीमा बढ़ाकर 100 फीसदी करने वाले बिल को कल लोकसभा से मंजूरी मिल गयी है.
कहा जा रहा है कि मोदी सरकार का मकसद देश में विदेशी पूंजी आकर्षित करना और बीमा बाजार में कंपटीशन बढ़ाना है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में कहा कि ज्यादा प्रतिस्पर्धा से ग्राहकों को बेहतर दरों पर पॉलिसी मिलेंगी.
सीतारमण ने कहा कि बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की सीमा 2015 में 26 प्रतिशत से बढ़ाकर 49 प्रतिशत, 2021 में 74 प्रतिशत कर दी गयी थी और अब इसे 100 प्रतिशत करने का प्रस्ताव है. सीतारमण ने कहा, इनसे बीमा क्षेत्र को काफी बढ़ावा मिला है, बीमा कंपनियों की संख्या 2014 में 53 से बढ़कर अब 74 हो गयी है।"
100 फीसदी FDI की अनुमति मिलने से विदेशी बीमा कंपनियां भारत में पूरी हिस्सेदारी के साथ काम करने में सक्षम होंगी. इस छूट बाजार में नयी कंपनियां आयेंगी.
बाजार में पहले से मौजूद कंपनियों पर प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी. इसका सीधा फायदा ग्राहकों को मिल सकता है, कंपनियों का संख्या बढ़ने सेकंपनियां कम प्रीमियम और बेहतर सुविधाओं के साथ पॉलिसी पेश करने को विवश होंगी.
कहा गया है कि हेल्थ, लाइफ और जनरल इंश्योरेंस में ज्यादा विकल्प मिलने से ग्राहक अपनी जरूरत के हिसाब से बेहतर पॉलिसी तय कर सकेंगे.
माना जा रहा है कि विदेशी निवेश बढ़ने से इंश्योरेंस कंपनियों के पास ज्यादा पूंजी उपलब्ध होगी. इस कारण कंपनियां डिजिटल प्लेटफॉर्म, क्लेम सेटलमेंट सिस्टम और ग्राहक सेवा के क्षेत्र में सुधार कर सकेंगी.
क्लेम प्रोसेस तेज और पारदर्शी होने की बात कही गयी है. इस बिल के पास होने से अंतरराष्ट्रीय अनुभव के साथ नयी तरह की बीमा योजनाएं भारतीय बाजार में आ सकती हैं. कस्टमाइज्ड हेल्थ कवर और लॉन्ग-टर्म रिटायरमेंट प्रोडक्ट्स की बात कही जा रही है.
वित्त मंत्री का कहना था कि सरकार की प्राथमिकता पब्लिक सेक्टर इंश्योरेंस कंपनियों को मजबूत करना है. कहा कि 100 फीसदी FDI से निजी और विदेशी कंपनियों के बीच मुकाबला बढ़ेगा.
आम लोगों के लिए बीमा लेना आसान और किफायती होने की संभावना है. हालांकि, रेगुलेशन और निगरानी की भूमिका अहम रहेगी, ताकि उपभोक्ताओं के हित सुरक्षित रहें.
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