Ranchi: झारखंड सरकार द्वारा जारी “माध्यमिक आचार्य (कक्षा 9 से 12), प्राचार्य एवं अशैक्षणिक कर्मियों की नियुक्ति एवं सेवा शर्त नियमावली, 2025” तथा विज्ञापन संख्या 02/2025 (माध्यमिक आचार्य शिक्षक नियुक्ति) को झारखंड हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है. यह रिट याचिका संगीता कुमारी की ओर से अधिवक्ता चंचल जैन द्वारा दायर की गई है.
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता चंचल जैन ने अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया कि राज्य सरकार ने माध्यमिक विद्यालयों (कक्षा 9–10) और उच्च माध्यमिक विद्यालयों (कक्षा 11–12) के शिक्षकों के पदों का अवैध रूप से विलय कर दिया है और सभी के लिए स्नातकोत्तर योग्यता को अनिवार्य बना दिया है.
यह निर्णय राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद के 12 नवंबर 2014 और 13 अक्तूबर 2021 के विनियमों का स्पष्ट उल्लंघन है. एनसीटीई विनियमों के अनुसार, कक्षा 9–10 के लिए न्यूनतम योग्यता स्नातक तथा कक्षा 11–12 के लिए स्नातकोत्तर निर्धारित की गई है.
याचिकाकर्ता ने तर्क दिया है कि राज्य सरकार का यह कदम हजारों स्नातक अभ्यर्थियों के अधिकारों का हनन करता है. याचिका में माध्यमिक आचार्य शिक्षक नियुक्ति नियम, 2025 की धारा 9 एवं विज्ञापन संख्या 02/2025 की धारा 4 को असंवैधानिक और शून्य घोषित करने की मांग की गई है.
इसके अतिरिक्त, अदालत से यह अनुरोध किया गया है कि राज्य सरकार को एनसीटीई विनियमों के अनुरूप नियमों में संशोधन करने का निर्देश दिया जाए. अंतरिम राहत के रूप में, याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट से मांग की है कि विज्ञापन संख्या 02/2025 के तहत जारी भर्ती प्रक्रिया को स्थगित किया जाए या प्रभावित अभ्यर्थियों को प्रोविजनल आवेदन एवं चयन प्रक्रिया में भाग लेने की अनुमति दी जाए. यह मामला वर्तमान में झारखंड हाईकोर्ट के विचाराधीन है और इसका निर्णय राज्य के हजारों शिक्षक अभ्यर्थियों के भविष्य को प्रभावित कर सकता है.
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