New Delhi : प्रधानमंत्री मोदी ने आज हिंदुस्तान टाइम्स लीडरशिप समिट 2025 में देश की अर्थव्यवस्था का एक खाका((blueprint)) पेश किया. उन्होंने कहा कि साल 2025 में भारत ने मजबूत मैक्रोइकॉनोमिक संकेत दर्शायें हैं. इस कारण भारत वैश्विक अर्थव्यवस्था की ड्राइविंग सीट पर है.
इस क्रम में प्रधानमंत्री ने कहा कि आज वैश्विक वृद्धि तीन प्रतिशत के करीब है. G7 देशों की अर्थव्यवस्थाएं लगभग 1.5 प्रतिशत के लगभग हैं. ऐसे समय में भारत उच्च विकास दर और निम्न मुद्रास्फीति का मॉडल बना हुआ है.
नरेंद्र मोदी ने आंकड़ा पेश करते हुए कहा, कुछ दिन पूर्व ही भारत की दूसरी तिमाही की GDP जारी हुई. कहा कि 8 फीसदी की वृद्धि दर दर्ज की गयी. यह हमारी प्रगति की नयी गति का प्रतिबिंब है. कहा कि यह महज आंकड़े नहीं हैं. मजबूत मैक्रोइकॉनोमिक संकेत हैं.
उन्होंने तंज कसा कि आज कोई इसे हिंदू ग्रोथ ऑफ रेट कहता है क्या? पीएम मोदी ने कहा कि आजादी के 79 साल बाद भी भारत गुलामी की मानसिकता से स्वतंत्र होने की दिशा में काम कर रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि जब दुनिया मंदी की बात करती है, तो भारत प्रगति की कहानी लिख रहा है.
पीएम मोदी ने कहा, आज 21वीं सदी का एक चौथाई हिस्सा बीत चुका है. इन 25 सालों में दुनिया ने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं. अनिश्चितताओं से भरे इस दौर में हमारा भारत आत्मविश्वास से भरा हुआ है.
पीएम ने कहा, जब भारत 2-3 प्रतिशत की ग्रोथ के लिए तरसता था तो इसे हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ कहा गया. पूछा कि क्या किसी देश की इकोनॉमिक ग्रोथ को वहां के निवासियों की आस्था से जोड़ना क्या अनायास ही हुआ होगा? पीएम ने कही, यह गुलामी की मानसिकता का प्रतिबिंब था.
पीएम ने कहा, यह स्थापित करने का प्रयास किया गया कि भारत की धीमी विकास दर का कारण हिंदू सभ्यता और हिंदू संस्कृति है. उन्होंने कहा कि देश में कुछ तथाकथित बुद्धिजीवियों को हर चीज में सांप्रदायिकता की बू आती है. लेकिन उन्हें हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ में सांप्रदायिकता नजर नहीं आयी. कहा कि उनके दौर में यह टर्म रिसर्च पेपर का हिस्सा बना दिया गया.
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