New Delhi : सुप्रीम कोर्ट द्वारा फटकार लगाये जाने के बाद दिल्ली पुलिस ने दिल्ली दंगों को लेकर SC में हलफनामा दाखिल कर दिया है. पुलिस ने अपने हलफनामे में कहा है कि 2020 के दिल्ली दंगे रिजीम चेंज के ऑपरेशन थे.
Delhi police objects to the bail plea of Umar Khalid, Sharjeel Imam and others in the UAPA case linked to the alleged larger conspiracy behind the 2020 north-east Delhi riots. Delhi Police in an affidavit tells Supreme Court that the materials on record, including the chats…
— ANI (@ANI) October 30, 2025
This was done so as to draw the attention of international media and to make the issue of CAA a global issue by portraying it as an act pogrom of Muslims community in India, affidavit of Delhi police states. The issue of CAA was carefully chosen as to serve as a “radicalising…
— ANI (@ANI) October 30, 2025
दिल्ली पुलिस के अनुसार यह दंगा केवल कानून और व्यवस्था की समस्या नहीं था. यह राजनीतिक मकसद वाला ऑपरेशन(दंगा) था.
दिल्ली पुलिस ने दिल्ली दंगों की साज़िश रचने के आरोप में उमर खालिद, शरजील इमाम, मीरान हैदर, गुलफिशा फातिमा और अन्य लोगों की जमानत का विरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया है.
पुलिस ने हलफनामे में दावा किया है कि दिल्ली दंगे अचानक शुरू नहीं हुए, वरन् देश की अंदरूनी शांति और अंतरराष्ट्रीय स्थिति को अस्थिर करने की एक सोची-समझी रणनीति थी.
पुलिस ने कहा कि जांचकर्ताओं ने आरोपियों को सांप्रदायिक आधार पर रची गयी एक गहरी साज़िश से जोड़ने वाले प्रत्यक्ष दस्तावेजी और तकनीकी सबूत जुटाये हैं. पुलिस के अनुसार नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (CAA) के खिलाफ असहमति को हथियार बनाकर भारत की संप्रभुता और अखंडता पर हमला करने की साजिश रची गयी थी.
आरोपियों का मकसद CAA को एक मुस्लिम विरोधी कानून बता कर अशांति फैलाना था. यह साज़िश अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत दौरे के समय रची गयी थी. इसका मकसद अंतरराष्ट्रीय ध्यान खींचना था.
अपने हलफनामें में पुलिस ने दावा किया है कि आरोपियों ने निचली अदालत को आरोप तय करने और ट्रायल शुरू करने से रोकने के लिए प्रक्रिया का खुलेआम दुरुपयोग किया. कार्यवाही में देर जांच एजेंसियों की वजह से नहीं, बल्कि खुद आरोपियों के कारण हुई है.
पुलिस ने गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) का हवाला देते हुए, दिल्ली पुलिस ने कोर्ट से कहा, ऐसे गंभीर आतंकवाद से जुड़े अपराधों के लिए जेल, बेल नहीं...का ही नियम है.
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