Ranchi: झारखंड पुलिस साइबर अपराध से जुड़े मामलों की जांच में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है. चार अलग-अलग राज्यों (बिहार, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल) ने झारखंड पुलिस से कुल 1,319 साइबर अपराध मामलों की जांच में सहयोग मांगा है. यह सहयोग मुख्य रूप से 'म्यूल अकाउंट' और ग्राहक आवेदन फॉर्म (सीएएफ) वेरिफिकेशन की जांच के लिए मांगा गया है.
किस राज्य ने कितने मामलों में सहयोग मांगा
- बिहार पुलिस ने झारखंड पुलिस से साइबर अपराध के 375 मामलों में सहयोग मांगा, इनमें से 90 मामलों की जांच पूरी हो चुकी है, 100 मामलों की जांच चल रही है और 185 मामले अभी लंबित हैं.
- उत्तर प्रदेश पुलिस ने 634 मामलों में सहयोग मांगा, जिनमें 131 मामलों की जांच पूरी हुई है, 202 की जांच चल रही है और 301 मामले लंबित हैं.
- छत्तीसगढ़ पुलिस ने 34 मामलों में सहयोग मांगा. इनमें से 6 मामलों की जांच पूरी हो चुकी है, 10 की जांच चल रही है और 18 मामले लंबित हैं.
- पश्चिम बंगाल पुलिस ने 276 मामलों में सहयोग मांगा, जिनमें 37 मामलों की जांच पूरी हुई है, 147 की जांच चल रही है और 92 मामले लंबित हैं.
झारखंड पुलिस ने भी मांगी मदद
झारखंड पुलिस ने भी साइबर अपराध से जुड़े 453 मामलों की जांच के लिए अन्य राज्यों की पुलिस से मदद मांगी है. इनमें सबसे ज़्यादा मदद पश्चिम बंगाल पुलिस (205 मामले), उत्तर प्रदेश पुलिस (134 मामले), बिहार पुलिस (76 मामले), छत्तीसगढ़ पुलिस (7 मामले) और ओडिशा पुलिस (7 मामले) से मांगी गई है.
म्यूल अकाउंट और सीएएफ वेरिफिकेशन को समझें
म्यूल अकाउंट उन बैंक अकाउंट्स को कहते हैं, जिनका इस्तेमाल साइबर अपराधी धोखाधड़ी से कमाए गए पैसों को छुपाने और ट्रांसफर करने के लिए करते हैं. अपराधी इन पैसों को सीधे अपने अकाउंट में ट्रांसफर नहीं करते, बल्कि पहले इसे किसी म्यूल अकाउंट में भेजते हैं. इसके बाद वे इन पैसों को अलग-अलग अकाउंट्स में ट्रांसफर करते रहते हैं, जिससे पैसों को ट्रैक करना बेहद मुश्किल हो जाता है.
इसके अलावा सीएएफ वेरिफिकेशन ग्राहक आवेदन फॉर्म (सीएएफ) वेरिफिकेशन एक प्रक्रिया है, जिसमें पुलिस किसी अपराध में इस्तेमाल हुए मोबाइल नंबर या इंटरनेट कनेक्शन के मालिक की पहचान करने के लिए उसके आवेदन फॉर्म की जांच करती है. यह प्रक्रिया साइबर अपराधियों को पकड़ने और उन्हें सजा दिलाने में बहुत मददगार होती है.
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