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फिर संकट में जनसेवा की डोर: क्या झारखंड की 108 एंबुलेंस सेवा दोबारा रुक जाएगी?

Ranchi: झारखंड में 108 एंबुलेंस सेवा एक बार फिर संकट के दौर से गुजर रही है. कर्मचारियों, सेवा संचालित करने वाली संस्था सम्मान फाउंडेशन और राज्य सरकार के बीच चल रहा विवाद अब गंभीर रूप लेता जा रहा है. सवाल उठ रहा है कि क्या राज्य की आपातकालीन एंबुलेंस सेवा एक बार फिर ठप हो सकती है.


झारखंड में 108 एंबुलेंस सेवा पहले अन्य एजेंसियों के माध्यम से संचालित होती थी, लेकिन पिछले साल इसका संचालन सम्मान फाउंडेशन को सौंपा गया. शुरुआत में संस्था ने दावा किया था कि वह कर्मचारियों को नियमित वेतन, पीएफ, ईएसआईसी और अन्य सुविधाएं देगी, लेकिन समय बीतने के साथ ही कर्मचारियों की शिकायतें बढ़ती गईं.


राज्य के कई जिलों में एंबुलेंस चालकों और कर्मचारियों को महीनों तक वेतन नहीं मिला. कुछ जगहों पर चार महीने तक भुगतान नहीं हुआ. कर्मचारियों का कहना था कि उन्हें न तो भविष्य निधि (PF) और न ही कर्मचारी राज्य बीमा योजना (ESIC) का लाभ मिल रहा है. इसके अलावा 12 से 14 घंटे की ड्यूटी के बावजूद उन्हें न्यूनतम वेतन भी नहीं दिया जा रहा.


26 जून 2025 को कर्मचारियों और सम्मान फाउंडेशन के बीच नौ बिंदुओं पर एक समझौता हुआ था. इसमें PF, ESIC, न्यूनतम वेतन, औपचारिक नियुक्ति, निलंबित कर्मियों की बहाली और एंबुलेंस मरम्मत जैसी मांगें शामिल थीं. कर्मचारियों का कहना है कि संस्था ने इस समझौते को लागू करने का आश्वासन तो दिया, लेकिन जमीनी स्तर पर कुछ भी नहीं बदला.


जब हालात बिगड़ते गए तो राज्यभर में लगभग 2500 एंबुलेंस कर्मियों ने अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी. हड़ताल के दौरान सड़क दुर्घटनाओं, प्रसव अन्य आपात स्थितियों में मरीजों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा. कई जगह मरीजों को निजी वाहनों या ऑटो से अस्पताल तक ले जाया गया.


लगातार बढ़ते जनदबाव और मीडिया रिपोर्टों के बाद सरकार ने हस्तक्षेप किया. रांची में स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव अजय कुमार सिंह की अध्यक्षता में 30 जुलाई 2025 को हुई बैठक में कर्मचारियों, सम्मान फाउंडेशन और भारतीय मजदूर संघ के प्रतिनिधियों के बीच वार्ता हुई. 


इस बैठक में कर्मचारियों को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत न्यूनतम वेतन देने, PF और ESIC की सुविधा लागू करने और निलंबित कर्मियों को दोबारा काम पर रखने पर सहमति बनी. साथ ही  राज्य में 269 नई एंबुलेंस सेवाएं शुरू करने की घोषणा की गई.


वार्ता के बाद हड़ताल समाप्त कर दी गई और सेवा बहाल हो गई. कुछ समय के लिए राहत जरूर मिली, लेकिन विवाद यहीं खत्म नहीं हुआ. कुछ ही हफ्तों बाद गुमला जिला में एक महिला की मौत एंबुलेंस के देर से पहुंचने के कारण हो गई. इस घटना के बाद अपर मुख्य सचिव अजय कुमार सिंह ने सम्मान फाउंडेशन को फटकार लगाई और सेवा सुधारने के सख्त निर्देश दिए.

 

हाईकोर्ट ने भी एंबुलेंस सेवा की स्थिति पर संज्ञान लेते हुए सरकार से जवाब मांगा है. सरकार ने अदालत को बताया है कि 30 नई एंबुलेंस जल्द खरीदी जाएंगी और सेवा में सुधार के लिए कदम उठाए जा रहे हैं.

इसके बावजूद कर्मचारियों ने दोबारा आरोप लगाया कि जो समझौते किए गए थे, वे अब भी लागू नहीं हुए हैं. उनका कहना है कि कई जिलों में वेतन फिर से बकाया है, PF और ESIC की प्रक्रिया अधूरी है  और एंबुलेंसों की हालत लगातार खराब हो रही है. 


प्रदेश अध्यक्ष नीरज तिवारी ने कहा कि सरकार के आदेशों की अवहेलना सम्मान फाउंडेशन संस्था रांची द्वारा की जा रही है. कर्मचारियों को उनका हक नहीं मिल रहा, जबकि वे लगातार जनहित में कार्य कर रहे हैं.

उन्होंने बताया की संघ द्वारा अपर मुख्य सचिव अजय कुमार सिंह को पत्र को सौपा गया है और इस मामले को संज्ञान में लेने की मांग की गई है, परंतु अभी तक विभाग द्वारा कोई जवाब नहीं आया है. 
उन्होंने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने शीघ्र ही सहमति के बिंद्ओं को लागू नहीं किया, तो संघ राज्य सरकार के आवासीय परिसरों का घेराव आंदोलन करेगा और एम्बुलेंस सेवा ठप कर दी जाएगी. 


इन सभी घटनाओं के बीच यह सवाल फिर से उभर रहा है कि क्या झारखंड में 108 एंबुलेंस सेवा फिर से ठप हो सकती है. कर्मचारियों की असंतुष्टि, एजेंसी की लापरवाही और विभागीय ढिलाई ने इस सेवा को अस्थिर बना दिया है. 
अगर जल्द ही ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो राज्य की आपातकालीन स्वास्थ्य सेवा एक बार फिर ठहर सकती है और इसकी सबसे बड़ी कीमत आम जनता को चुकानी पड़ेगी.

 

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