Ramgarh : झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अपने पिता के निधन के बाद से दो तरह की चुनौतियों से गुजर रहे हैं. एक तरफ "बाबा" के परलोक गमन की असहनीय पीड़ा, तो दूसरी तरफ राज्य के प्रति जिम्मेदारियों को निभाने की चिंता. "बाबा" शिबू सोरेन के निधन का शनिवार को पांचवां दिन है. दुःख-दर्द और आंसू थम नहीं रहे हैं. लेकिन, ऐसे विषम हालात में भी वे पुत्रधर्म के साथ राजधर्म भी निभा रहे हैं. वे रामगढ़ जिले के नेमरा स्थित पैतृक आवास पर पिता के निधन के बाद के रस्म-रिवाज को पारंपरिक विधि- विधान से निभा रहे हैं, तो दूसरी तरफ शासन-प्रशासन चलाने का भी फर्ज बखूबी निभा रहे हैं. ताकि राज्य के विकास की गति में कोई अवरोध नहीं हो.
राज्यहित से जुड़े विषयों को लेकर पूरी तरह संवेदनशील हैं सीएम
मुख्यमंत्री शोक की इस घड़ी में भी राज्यहित से जुड़े विषयों को लेकर पूरी तरह संवेदनशील हैं . व्यक्तिगत भावनाओं और दुःख-दर्द को सीने में दबाकर वे सरकारी कामकाज बेहतर तरीके से निभाने का लगातार प्रयास कर रहे हैं. जरूरी संचिकाओं का निष्पादन करने के साथ सभी वरीय पदाधिकारियों के साथ नियमित संवाद बनाए हुए हैं. सरकार की गतिविधियों की निरंतर जानकारी लेने के साथ-साथ उन्हें निर्देशित किया है कि वे अपने कार्यों में तत्परता व निरंतरता बनाए रखें. इस बात का विशेष ध्यान रखें कि आमजन की समस्याओं का तत्काल निराकरण हो. कहीं भी, किसी भी कार्य में कोताही नहीं होनी चाहिए. उन्होंने वरीय पदाधिकारियों से यह भी कहा कि वे उन्हें हर पल अद्यतन सूचनाओं से अवगत कराते रहें.
विषम परिस्थितियों में दायित्व निभाने की जनता से मिली हिम्मत
मुख्यमंत्री ने कहा कि दिशोम गुरु शिबू सोरेन जी के निधन के बाद दुःख और मुसीबत की घड़ी में जिस तरह राज्य की जनता मेरे पूरे परिवार के साथ खड़ी रही, उसी से मुझे यह हिम्मत मिली कि मैं इन कठिन परिस्थितियों में भी राज्य के प्रति अपने दायित्वों को निभा सकूं. मुख्यमंत्री ने कहा कि बाबा कहा करते थे- सार्वजनिक जीवन में आम जनता के लिए हमेशा खड़ा रहना. वे संघर्ष की मिसाल थे. उन्होंने कभी झुकना नहीं सीखा. इस राज्य के लिए हमेशा लड़ते रहे . उन्होंने कभी भी अपने व्यक्तिगत हितों को तरजीह नहीं दी. संसद से सड़क तक इस राज्य के लिए संघर्ष करते रहे. आज झारखंड है, तो यह दिशोम गुरु की देन है.अब उनका साया हमारे ऊपर से उठ चुका है. पर, वे हम सभी के लिए पथ प्रदर्शक और मार्गदर्शक रहेंगे. उन्होंने इस राज्य की खातिर मुझसे कई वचन लिए थे. मैं उनसे किए वादों को पूरा करने का हर संभव प्रयास कर रहा हूं.
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