Ranchi: राजी पड़हा सरना प्रार्थना सभा भारत (अनिबंधित) की केंद्रीय महासचिव जलेश्वर उरांव और महिला प्रकोष्ठ रांची महानगर की ओर से दिशोम गुरु शिबू सोरेन के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया गया. इस अवसर पर उनकी आत्मा की शांति एवं परिजनों को संबल प्रदान करने के लिए भगवान सिंगबोंगा धर्मेस चाला से प्रार्थना की गई और दो मिनट का मौन रखा गया.
दिशोम गुरु: एक विचारधारा, एक आंदोलन
संगठन की ओर से जारी वक्तव्य में कहा गया कि स्वर्गीय शिबू सोरेन केवल एक राजनेता नहीं, बल्कि एक विचारधारा थे. उन्होंने जीवन भर शोषण के खिलाफ, जल–जंगल–जमीन की रक्षा और झारखंड राज्य की स्थापना के लिए संघर्ष किया. बिरसा मुंडा के बाद वे आदिवासी समाज के सबसे बड़े क्रांतिकारी नेता माने जाते हैं.
भारत रत्न देने की मांग
प्रार्थना सभा ने भारत सरकार से आग्रह किया कि स्वर्गीय शिबू सोरेन को मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया जाए, ताकि वर्तमान और आने वाली पीढ़ियां उनके संघर्ष, बलिदान और योगदान को याद रखें और उनसे प्रेरणा लें.
विश्व आदिवासी दिवस नहीं मनाने का निर्णय
महिला प्रकोष्ठ, रांची महानगर की ओर से यह निर्णय लिया गया है कि इस वर्ष विश्व आदिवासी दिवस नहीं मनाया जाएगा. यह फैसला दिशोम गुरु के प्रति श्रद्धांजलि और शोक व्यक्त करने के उद्देश्य से लिया गया है.
प्रार्थना सभा में उपस्थित रहीं महिलाएं
इस मौके पर महिला प्रकोष्ठ की कई सक्रिय सदस्य मौजूद थीं, जिनमें सुभानी तिग्गा, सीता खलखो, ललिता खलखो, संध्या मिंज, सुचिता बाड़ा, शांता कच्छप, ज्योति तिग्गा और गीता गाड़ी शामिल रहीं.
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