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राजनाथ सिंह ने कहा, ऑपरेशन सिंदूर के दौरान तीनों सेनाओं के बीच असाधारण एकजुटता देखी

New Delhi :  रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह  आज लेफ्टिनेंट जनरल राज शुक्ला (सेवानिवृत्त) की पुस्तक सिविल मिलिट्री फ्यूजन एज अ मेट्रिक्स ऑफ नेशनल पावर एंड कॉम्प्रिहेंसिव सिक्योरिटी के विमोचन समारोह में शामिल हुए. 

 

 

उन्होंने कहा, मुझे विश्वास है कि यह पुस्तक हम सभी के लिए उपयोगी है. साथ ही उन्होंने कहा, मैं इस बात से सहमत नहीं हूं कि भारत जैसे देश में सिविल और सैन्य प्रशासन को केवल सैन्यीकरण के कारण ही अलग रखा गया है.

 


रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत की परंपरा में कहीं भी सैन्यीकरण इस अर्थ में नहीं रहा है कि सत्ता का अर्थ अधिकार, हथियार या सरकार पर नियंत्रण प्राप्त करना हो.  भारत में सत्ता का उद्देश्य हमेशा जनता की रक्षा और सेवा करना रहा है. इसी कारण, भारत में नागरिक प्रशासन और सेना के बीच कभी कोई संघर्ष नहीं हुआ.

 

राजनाथ सिंह  ने कहा, मेरा मानना है कि भारत में सैन्यीकरण का खतरा पश्चिमी विचारधारा की देन है. सिविल और सैन्य प्रशासन के बीच जो अंतर दिखाई देता है, वह किसी वैचारिक मतभेद के कारण नहीं है, बल्कि इसका आधार श्रम विभाजन, यानी कार्य का वैज्ञानिक वितरण है.

 

श्रम विभाजन का सरल अर्थ है कि वह व्यक्ति जिसके पास किसी विशेष कार्य के लिए क्षमता और कौशल है जिस व्यक्ति को जो काम दिया जाये,  उसे वह काम दिया जाये. इस सिद्धांत के तहत, नागरिक और सैन्य को अलग रखा गया.

 
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, अब युद्ध केवल सीमाओं पर ही नहीं लड़े जाते, बल्कि उन्होंने एक संकर और विषम रूप ले लिया है. पारंपरिक रक्षा का दृष्टिकोण अब प्रासंगिक नहीं रहा. हमारी सरकार ने भविष्य के लिए तैयार और मज़बूत सशस्त्र बलों के निर्माण के लिए कई साहसिक और निर्णायक सुधार किये हैं.  

 

 रक्षा मंत्री ने चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के पद के सृजन  को ऐतिहासिक कदम करार दिया.  उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान हमने तीनों सेनाओं के बीच असाधारण एकजुटता और एकीकरण देखा. ऑपरेशन सिंदूर ने पाकिस्तान को चकनाचूर करने का काम किया है, और आज भी वह उस दर्द को नहीं भूला है.

 

राजनाथ सिंह ने कहा, इस पुस्तक को पढ़ने से मुझे जो मुख्य सीख मिली है, वह यह है कि नागरिक-सैन्य एकीकरण को केवल एकीकरण के रूप में नहीं, बल्कि एक रणनीतिक प्रवर्तक के रूप में देखा जाना चाहिए. हमने रक्षा विनिर्माण और सार्वजनिक-निजी भागीदारी को बढ़ावा दिया है, रक्षा स्टार्टअप्स को बढ़ावा देते हुए, हमने उद्योग भागीदारी भी बढ़ाई है.

 

आज, हम रक्षा क्षेत्र के लिए एक विनिर्माण केंद्र के रूप में तेजr से उभर रहे हैं. घरेलू रक्षा उत्पादन अब 1.5 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया है. इसमें से निजी क्षेत्र का योगदान लगभग 33,000 करोड़ रुपये है.  सरकार ने इस पुस्तक में दिये गये कई सुझावों पर अमल करना शुरू कर दिया है. कार्यक्रम में सीडीएस जनरल अनिल चौहान व आर्मी चीफ ने भी विचार रखे. 


 
 
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