21 दिनों तक पुलिस की निगरानी में रहेंगे
गुरमीत को जेल से बाहर लाने का एक महत्वपूर्ण कारण पंजाब और यूपी चुनाव माना जा रहा है. राम रहीम की पैरोल से बीजेपी सरकार डेरा के असर वाली सीटों पर फायदा लेना चाहती है. इससे पहले, भी राम रहीम कई तरह से जमानत पाने के लिए कई बार अपील कर चुके हैं. जमानत नहीं मिलने पर वो जेल से अपने अनुवायियों के लिए लेटर लिखा करते हैं. आज सुबह डेरा प्रमुख को कड़ी सुरक्षा में रोहतक के सुनारिया जेल से निकाला गया है. पैरोल के दौरान एक कड़ी शर्त भी रखी गयी है कि वह 21 दिनों तक पुलिस की निगरानी में रहेंगे. इस दौरान उसका अधिकांश समय डेरे में ही व्यतीत होगा. इसे भी पढ़ें – झारखंड">https://lagatar.in/there-were-12-major-incidents-of-violent-clashes-between-two-groups-in-last-3-years-in-jharkhand/">झारखंडमें बीते 3 साल में दो गुटों के बीच हिंसक झड़प की 12 बड़ी घटनाएं हुईं
क्या है फरलो और परोल में अंतर
हाल में सुप्रीम कोर्ट ने फरलो (furlough) और परोल (parole) के अंतर के बारे में बताया था. सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक, फरलो और परोल वैसे तो दोनों में कुछ समय के लिए किसी सजायफ्ता कैदी को अस्थायी तौर पर रिहाई मिलती है. परोल तब दी जाती है जब कैदी को एक खास और जरूरी आवश्यकता होती है. लेकिन जब बिना किसी कारण के निर्धारित वर्षों की जेल के बाद फरलो दी जा सकती है. फरलो देना इसलिए होता है, क्योंकि जेल में नीरस जीवन बीता रहे कैदी को कुछ समय के लिए अपनों के बीच जाने का मौका मिलता है. इस बारे में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि फरलो जेल की नीरसता को तोड़ने और अपराधी को पारिवारिक जीवन और समाज के साथ फिर से कुछ समय के लिए घुलमिलकर सक्षम बनाने के लिए दी जाती है. बिना किसी कारण के भी फरलो की मांग की जा सकती है. हालांकि कैदी के पास फरलो का दावा करने के लिए पूर्ण कानूनी अधिकार नहीं है. फरलो की मांग को मना भी किया जा सकता है.रणजीत मर्डर केस में भी राम रहीम दोषी
बता दें कि इससे पहले, रणजीत मर्डर केस में भी राम रहीम को दोषी करार दिया गया था. 10 जुलाई 2002 को डेरे की प्रबंधन समिति के सदस्य रहे कुरुक्षेत्र के रणजीत सिंह का मर्डर हुआ था. डेरा प्रबंधन को शक था कि रणजीत सिंह ने साध्वी यौन शोषण की गुमनाम चिट्ठी अपनी बहन से ही लिखवाई थी. पुलिस जांच से असंतुष्ट रणजीत के पिता ने जनवरी 2003 में हाईकोर्ट में याचिका दायर कर सीबीआई जांच की मांग की थी. सीबीआई ने मामले की जांच करते हुए आरोपियों पर केस दर्ज किया था. 2007 में कोर्ट ने आरोपियों पर चार्ज फ्रेम किये थे.20 साल की सजा हो चुकी है
गुरमीत राम रहीम को साध्वियों से यौन शोषण के मामले में पहले ही 20 साल की सजा हो चुकी है और पत्रकार रामचंद्र छत्रपति हत्याकांड में वह उम्रकैद की सजा सुनारिया जेल में काट रहे हैं. राम रहीम को इससे पहले सीबीआई जज रहे जगदीप सिंह ने सजा सुनाई थी. जगदीप का इसी साल ट्रांसफर हो गया था. उनकी जगह चंडीगढ़ में सीबीआई जज रहे डॉ. सुशील गर्ग को पंचकूला सीबीआई विशेष अदालत में नियुक्त किया गया है. इसे भी पढ़ें – JNU">https://lagatar.in/shantisree-dhulipudi-pandit-became-the-first-woman-vice-chancellor-of-jnu-the-term-will-be-for-five-years/">JNUकी पहली महिला वाइस चांसलर बनीं शांतिश्री धूलिपुडी पंडित, पांच साल को होगा कार्यकाल [wpse_comments_template]

Leave a Comment